केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा शुक्रवार को जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव का दोपहर तीन बजे बाद ऐलान कर दिया गया है. इस बार उस राज्य में भी चुनाव हो रहे हैं जहां पिछले 14 सालों से चुनाव नहीं हुए हैं. जी हां, हम जम्मू कश्मीर की बात कर रहे हैं. जहां 14 सालों से चुनाव नहीं हुए हैं.


5 अगस्त 2019 को केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू कश्मीर उपराज्यपाल के प्रशासन के आधीन है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर यह पहला मौका होगा जब घाटी में विधानसभा चुनाव होंगे.  अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर यह पहला मौका होगा जब घाटी में विधानसभा चुनाव होंगे. चुनाव आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां कर ली हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर इतने समय में जम्मू कश्मीर में क्या बदलाव आए हैं.


पिछली बार जम्मू कश्मीर में कब हुए थे चुवान?


इससे पहले 2014 में जम्मू-कश्मीर राज्य में चुनाव हुए थे. उस समय 87 सीटों वाली विधानसभा के लिए 25 नवंबर से 20 दिसंबर 2014 तक पांच चरणों में मतदान हुआ था. जिसका रिजल्ट 23 दिसंबर, 2014 को घोषित हुए थे. 87 सदस्यीय विधानसभा में महबूबा मुफ्ती की जम्मू-कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को सबसे ज्यादा 28 सीटें हासिल हुई थीं. वहीं दूसरे स्थान पर भाजपा थी जो 25 सीटों पर जीतने में सफल रही थी. फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 जबकि कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली थी. तीन सीटों पर निर्दलीय तो चार सीटों पर अन्य छोटे दलों को जीत मिली थीइस चुनाव में कोई भी दल बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सका था.


क्या हुआ बदलाव?


केंद्र शासित राज्य बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से हुए परिसीमन हुआ है. इस बार इसी के तहत चुनाव कराए जाएंगे. पिछली बार की तुलना में जम्मू में छह और कश्मीर में एक विधानसभा सीट समेत कुल सात विधानसभा सीटें बढ़ गई हैं. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के चलते विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है. राज्य की चार विधानसभा सीटें लेह और करगिल जिले में आती थीं. इस इलाके को अब बिना चुनाव वाला केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है. नए परिसीमन में जम्मू की विधानसभा सीटें 37 से बढ़कर 43 और कश्मीर की 46 से 47 हो गई हैं.                                                               


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