तारीखों के ऐलान और नतीजों के बीच कितने दिन का होना चाहिए अंतर, क्या इसे लेकर है कोई नियम?
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए तारीखों की घोषणा हो चुकी है. दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग होगा और 8 फरवरी को नतीजें आएंगे.क्या आप जानते हैं कि वोटिंग और नतीजों के बीच कितने दिनों का अंतर होता है?
चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी है. चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी 2025 को मतदान होगा. अब सवाल ये है कि चुनाव के तारीखों और और नतीजों के बीच कितने दिन का अंतर होता है. आज हम आपको बताएंगे कि इसको लेकर क्या नियम है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों को लेकर चुनाव आयोग ने बताया है कि दिल्ली के 1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 मतदाता पंजीकृत वोटर्स 5 फरवरी को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. वहीं 8 फरवरी 2025 को रिजल्ट की घोषणा की जाएगी. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव एक चरण में ही पूरा होगा.
चुनाव में तारीखों और नतीजों के बीच कितने दिन का अंतर
बता दें कि चुनाव आयोग जब विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के वक्त वोटिंग के लिए तारीखों का ऐलान करता है, उसी वक्त चुनाव आयोग चुनाव रिजल्ट आने की भी घोषणा करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव की तारीखों और रिजल्ट के बीच कितने दिन का अंतर होता है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इसको लेकर कोई नियम होता है या नहीं.
कब आता है रिजल्ट?
बता दें कि भारत में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग ईवीएम मशीन द्वारा होती है. अब सवाल ये है कि ईवीएम मशीन में वोट काउंट करना आसाना होता है, तो रिजल्ट भी जल्दी आता होगा. जी हां, ईवीएम से चुनाव होने के कारण चुनाव में वोटिंग के अधिकतम एक 5 दिनों के अंदर वोटिंग पूरी हो जाती है. क्योंकि लगभग पार्टियों को ये लगता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ या डाटा इधर-उधर हो सकता है. हालांकि जब पहले बैलेट पेपर से वोटिंग होती थी, तो वोट गिनने में एक से अधिक दिन लग जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है.
चुनाव आयोग क्यों जल्दी करता है रिजल्ट घोषित?
लोकसभा समेत विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद चुनाव आयोग 5 दिन से अधिकतम 1 सप्ताह के अंदर रिजल्ट की घोषणा कर देते हैं. इसके अलावा आपने देखा होगा कि जहां पर भी वोटिंग होती है, वहां पर लगभग सभी दलों के समर्थक मौजूद रहते हैं. जिससे वोटिंग में किसी तरह की बाहरी छेड़खानी ना हो सके. यही कारण है कि चुनाव आयोग वोटिंग के बाद लंबे समय तक ईवीएम मशीन को स्टॉंग रूम में अपनी सुरक्षा के अधीन नहीं रखता है और 5 दिनों के अंदर ही रिजल्ट की घोषणा कर देता है.
ईवीएम में कब तक डाटा रहता है सुरक्षित?
अब सवाल ये ईवीएम मशीन नें कितने दिनों तक डेटा को रखा जा सकता है. बता दें कि ईवीएम में दो यूनिट होती है, पहली कंट्रोल यूनिट और दूसरी बैलेट यूनिट होता है. कंट्रोल यूनिट पॉलिंग ऑफिसर के पास होता है, वहीं बैलेट यूनिट वो मशीन होती है, जिसमें वोटर बटन दबाकर अपना वोट देता है. चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम में 100 सालों तक भी वोट रखा जा सकता है, जब तक इस मशीन से डेटा डिलीट नहीं किया जाता है, वो तब तक उसमें सेव रहता है.
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