क्या है 2 रुपये वाला वो नियम, जिससे चुनाव में किसी को वोट देने से रोका जाता है!
Election Commission Rules: जब भी चुनाव होते हैं तो वोटिंग को 2 रुपये के जरिए रुकवाया जा सकता है. तो क्या आप जानते हैं ये नियम क्या है और इसका किस तरह से यूज किया जाता है.
राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है. अगले महीने इन राज्यों में चुनाव है. चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद अब राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करना शुरू कर दिया है. चुनावी समीकरणों के साथ ही चुनाव के कई नियमों की काफी चर्चा हो रही है, जिसमें जमानत जब्त, वोटर आईडी कार्ड बनवाना आदि नियम शामिल है. हम आपको ऐसे ही नियमों के बारे में बता रहे हैं और आज हम बात करेंगे 2 रुपये वाले नियम की. जी हां, एक रुपये वाला नियम होता है, जिसके जरिए किसी को चुनाव में वोट देने से रोका जा सकता है, तो जानते हैं इस खास नियम के बारे में...
क्या है 2 रुपये वाला नियम?
दरअसल, जब भी चुनाव होता है तो मतदान बूथ में कुछ पीठासीन अधिकारी होते हैं, जो वोटिंग प्रोसेस को पूरी करते हैं. वे आपकी आईडी चेक करते हैं और वोट देने के लिए बैलेट मशीन को ऑन करने का काम करते हैं. उनका काम ही स्याही लगाने का होता है, लेकिन उनके साथ ही उस कमरे में कुछ पोलिंग एजेंट भी बैठे होते हैं. ये पोलिंग एजेंट अलग-अलग पार्टियों की ओर से बैठाए जाते हैं और ये पीठासीन अधिकारी के साथ वोटर को पहचाने का काम करते हैं. वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि कोई फर्जी वोट तो नहीं डाल रहा है.
किसी भी पार्टी या कैंडिडेट की ओर से पोलिंग एजेंट के रुप में काम कर रहे लोगों को कुछ विशेष अधिकार भी दिए जाते हैं और ये 2 रुपये वाला नियम उन्हीं लोगों के लिए ही है. दरअसल, जब भी कोई व्यक्ति वोट देने चाहते हैं तो ये पोलिंग एजेंट भी इनकी पहचान करते हैं और उनके सत्यापित करने के बाद ही शख्स वोट दे सकता है. अगर कुछ केस में किसी व्यक्ति की पहचान को लेकर पोलिंग एजेंट को संदेह होता है और उसे लगता है कि ये फर्जी वोटर है तो वो इसकी शिकायत पीठासीन अधिकारी से कर सकते हैं.
इस शिकायत के लिए पोलिंग एजेंट 2 रुपये देकर अपना ओब्जेक्शन रेज करता है और इसे चैलेंज वोट कहा जाता है. 2 रुपये देकर वो मतदाता की पहचान पर संदेह करता है, जिसके बाद उस मतदाता को खुद को सही साबित करना होता है और इसके लिए वो जरूरी कागज पीठासीन अधिकारी देता है. इसके बाद पीठासीन अधिकारी इस बात पर फैसला करता है कि क्या वह सही है या नहीं. अगर वह व्यक्ति सही निकलता है तो उसे वोट देने की परमिशन दी जाती है. साथ ही पोलिंग एजेंट के चैलेंज को खारिज कर पैसे जमा कर लिए जाते हैं.
इसके साथ ही पोलिंग एजेंट को मॉक पोल करके भी पहले पीठासीन अधिकारी को दिखाया जाता है कि वोटिंग मशीन ठीक काम कर रही है या नहीं. ये मॉक वोट होने के बाद ही वोटिंग की प्रक्रिया शुरू की जाती है.
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