राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे को लेकर हमेशा से विवाद रहा है. पिछले कुछ सालों से नई व्यवस्था के तहत राजनीतिक दलों को चंदा मिल रहा है, जिसे इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम से हम जानते हैं. इस मामले को लेकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर बवाल हो रहा है और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इसी बीच आज हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि ऐसे कौन से राजनीतिक दल हैं जिन्हें चुनावी चंदा नहीं मिल सकता है. यानी कोई भी इन दलों के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड जारी नहीं कर सकता है. 


कैसे होती है बिक्री
इलेक्टोरल बॉन्ड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी किए जाते हैं. यानी अगर आपको बॉन्ड खरीदना है तो एसबीआई से खरीदना होगा. सबसे कम बॉन्ड एक हजार रुपये का और सबसे बड़ा एक करोड़ रुपये का होता है. हालांकि कोई भी कितने भी बॉन्ड खरीद सकता है, इसकी कोई सीमा तय नहीं की गई है. चुनावी मौसम में इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री जमकर बढ़ जाती है और राजनीतिक दल मालामाल होते हैं. 


चंदा पाने के लिए जरूरी शर्त
अब उस सवाल का जवाब भी जान लेते हैं कि कौन से वो राजनीतिक दल होते हैं, जिन्हें ये चुनावी चंदा नहीं मिल सकता है. दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड उन्हीं दलों को जारी किया जा सकता है, जिन्हें चुनाव आयोग से मान्यता मिली हो, यानी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ हो. इसके अलावा चुनावी चंदा पाने वाले दल का वोट शेयर लोकसभा या फिर विधानसभा चुनाव में 1 परसेंट या उससे ज्यादा होना चाहिए.


चुनावी चंदे को लेकर नियम काफी आसान बनाए गए हैं, इन्हें कोई भी व्यक्ति, समूह या फिर कॉरपोरेट कंपनी खरीद सकती है. जारी होने के 15 दिन के भीतर राजनीतिक दल को इस बॉन्ड को कैश करवाना होता है. हर लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों, खासतौर पर सत्ता में काबिज पार्टी को जमकर चंदा मिलता है. 


ये भी पढ़ें - Electoral Bonds: कैसे दिया जाता है चुनावी चंदा, किस बैंक में मिलते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड?