लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना पूरे देश में जारी है. जहां नेताओं की परिक्षा हो रही है तो जनता भी अपने द्वारा चुने गए उम्मीद्वार को जीतता देखने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रही है. आज शाम तक चुनाव के पूरे परिणाम सभी के सामने होंगे, कहां से किसने बाजी मारी और किसे मात मिली इसके चर्चे बाद तक होंगे, लेकिन जो भी कैंडिडेट आज जीत दर्ज करता है उसे आज ही सांसद का पद नहीं मिल जाएगा. बल्कि इसके लिए भी एक प्रक्रिया होती है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे कोई कैंडिडेट जीतन के बाद सांसद की कुर्सी तक पहुंचता है.


चुनाव जीतने के बाद कैसे बनते हैं सांसद?


दरअसल जो भी कैंडिडेट चुनाव में जीत दर्ज करता है वो शपथ लेने के बाद ही सांसद माना जाता है. संविधान के अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक संसद के बारे दिया हुआ है. लोकसभा को निम्न सदन के नाम से भी जाना जाता है, जो ब्रिटिश पार्लियामेंट पर आधारित है. इसके अलावा लोकसभा सांसदों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा किया जाता है. लोकसभा सदस्यों का कार्यकाल 5 सालों का होता है. इसके अलावा सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 होती है, जिसमें 530 सदस्य राज्यों और 20 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं.


इसके अलावा हर राज्य में  सीटों का आवंटन राज्य की जनसंख्या के आधार पर होता है. लोकसभा में एससी और एसटी समुदाय के लिए 131 सीटें आवंटित की जाती हैं, जिसमें 84 एससी और 47 एसटी  के लिए आरक्षित होती हैं.


लोकसभा सदस्य बनने की योग्यताएं


लोकसभा सदस्य बनने के लिए कुछ योग्यताओं का होना जरुरी होता है. पहला ये कि वो व्यक्ति वो भारत का नागरिक हो, दूसरा उसकी न्यूनतम उम्र 25 साल हो, तीसरा उम्मीदवार पागल या दिवालिया न हो, चौथा वह संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखता हो और पांचवा कि वो किसी सरकारी लाभ के पद पर न हो.


सांसदों को क्या सुविधाएं मिलती हैं?


संविधान के अनुच्छेद 106 के मुताबिक, सांसदों को ये अधिकार है  कि वो कानून बनाकर अपना वेतन और भत्ते तय करे. भारतीय सांसदों के वेतन और भत्ते अन्य देशों के सांसदों के मुकाबले अलग है. जैसे भारत में सांसदों को आवास दिया जाता है जबकि ब्रिटेन में किराए पर आवास लेने के लिए भत्ता दिया जाता है. इलके अलावा अमेरिका के सांसदों को ऐसा कोई भत्ता नहीं दिया जाता.


वहीं साल 1985 में संसद में बने कानून के मुताबिक, सांसदों को कुछ निश्चित भत्ते दिए जाते हैं, जैसे- कार्यालयी भत्ते, आवासीय भत्ते. इन्हें निर्धारित और संशोधित करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास होती है. वहीं साल 2018 मे सांसदों के वेतन के कानून में संशोधन हुआ था. इस संशोधन में ये प्रावधान था कि सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन में हर पांच में बढ़ोत्तरी होगी.


कितनी होती है सांसदों की सैलरी?


सांसदों की सैलरी की बात करें तो कैबिनेट मंत्रियों की सैलरी प्रतिमाह 1,00,000 रुपये  है. इसके अलावा कर्तव्य पालन के लिए रोज उन्हें 2000 रुपये, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 और कार्यालयी भत्ता  प्रतिमाह 60,000 रुपये दिए जाते हैं. वहीं सांसदों को रेल , पानी, बिजली, टेलिफोन, चिकित्सा समेत अन्य कई सुविधाएं मुफ्त में दी जाती हैं. साथ ही इन्हें फ्लाइट का किराए में छूट मिलती है.


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