जम्मू-कश्मीर में चुनावी बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर वो राज्य है, जहां पर 20 फीसदी सीटों पर कभी भी वोटिंग नहीं होती है. जी हां, आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों जम्मू-कश्मीर के 20 फीसदी सीटों पर चुनाव नहीं होते हैं.


जम्मू-कश्मीर 


जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. यहां चुनाव तीन चरणों में होंगे. जानकारी के मुताबिक चुनाव 18 सितंबर से 01 अक्टूबर तक होंगे, यानि वोटिंग सिर्फ 14 दिनों में हो जाएगी. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में कुल 114 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन राज्य में विधानसभा सीटों के डिलीमिटेशन के बाद चुनाव केवल 90 सीटों पर ही होंगे. बाकी 24 सीट पीओजेके यानी पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के लिए हैं. इसके अलावा बाकी 90 सीटों में से 43 सीटें जम्मू संभाग में और 47 सीटें कश्मीर संभाग में हैं. इस बार इन 90 सीटों पर मतदान होगा है. वहीं इन दोनों संभागों की 9 सीटें एसटी के लिए और 7 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं.


परिसीमन के बाद बढ़ी सीटें


बता दें कि वर्ष 2019 में जब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के जरिए आर्टिकल 370 को निरस्त किया गया था. उसके बाद राज्य में चुनावी सीटों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने के लिए परिसीमन प्रक्रिया शुरू हुई थी. वहीं मार्च 2020 में एक परिसीमन आयोग की स्थापना की गई, जिसकी अंतिम रिपोर्ट मई 2022 में जारी हुई थी. इस रिपोर्ट ने विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी थी, जिसमें 06 सीटें जम्मू और 01 सीट कश्मीर में शामिल की गई थी.


24 सीटें पीओजेके के लिए


इसके अलावा 114 सीटों में 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों के लिए आरक्षित हैं, जिसका अर्थ है कि उन पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है. इसलिए अभी चुनाव के लिए उपलब्ध सीटों की प्रभावी संख्या 90 है. जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर संभाग में 47 है. अब राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.


2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव


जम्मू कश्मीर में इससे पहले 2014 में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. जो चुनाव नवंबर-दिसंबर के बीच कराए गए थे, जिसमें 87 सीटों पर मतदान हुआ था. इसमें पीडीपी को 28, बीजेपी को 24, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 और अन्य को सात सीटें मिली थीं. पीडीपी को 23 प्रतिशत, बीजेपी को भी 23 प्रतिशत, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 21 प्रतिशत और कांग्रेस को 18 प्रतिशत वोट मिले थे.


ये भी पढ़ें: राजा के बाद किसके हाथों में आई थी कश्मीर की कमान? जानें कैसे चुना गया था घाटी का पहला नेता