इंसानों की दखल जंगल में तेजी से बढ़ रही है. इसका नतीजा ये हो रहा है कि जंगली जानवरों को अपने घर से बाहर निकलना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में जानवर कई तरह की दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं और जान गंवा रहे हैं. भारत में खासतौर से हाथियों के साथ ऐसा ज्यादा हो रहा है. हर साल हाथी, शिकारियों से ज्यादा सिस्टम की लापरवाही से होने वाली दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा दे रहे हैं.


कभी ट्रेन से टकरा कर उनकी मौत हो जाती है तो कभी बिजली का करंट लगने से. बिजली का करंट लगने से हर साल जितने हाथी मारे जा रहे हैं, उतने शिकार और क्लाइमेट चेंज से भी नहीं मर रहे. चलिए जानते हैं कि भारत सरकार ने हाथियों की मौत पर जो आंकड़ा संसद में पेश किया है वो कितना भयावह है.


सिस्टम की लापरवाही और हाथियों की मौत


पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने हाथियों की मौत पर जो आंकड़ा संसद में दिया वो आपको हैरान कर देगा. इस आंकड़े के अनुसार, 2019-20 में रेल दुर्घटना की वजह से 14 हाथियों की मौत हुई थी. जबकि, 2023-24 में ट्रेन दुर्घटनाओं में हाथियों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 17 हो गया.


बिजली, शिकार और जहर की वजह से मौत


इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया कि हाथियों की मौत के लिए बिजली का करंट, जहर और शिकारी भी जिम्मेदार हैं. अकेले बिजली के करंट से साल 2019-20 में 76 हाथियों की मौत हुई. जबकि, 2023-24 में ये संख्या बढ़कर 94 हो गई. वहीं अवैध शिकार की बात करें तो साल 2019-20 में शिकारियों द्वारा 9 हाथियों की हत्या की गई. जबकि, 2023-24 में भी शिकारियों द्वारा 9 हाथियों की हत्या हुई. जहर की वजह से मारे गए हाथियों की बात करें तो साल 2023-24 में एक हाथी की मौत जहर से हुई.


हाथियों और आमलोगों में संघर्ष


एक तरफ सिस्टम की लापरवाही की वजह से हाथियों की मौत हो रही है तो वहीं दूसरी ओर हाथियों और इंसानों के बीच होने वाले संघर्ष में इंसानों की भी जान जा रही है. लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में 586 लोगों की मौत हाथियों की वजह से हो गई थी. वहीं 2023-24 में ये संख्या बढ़कर 629 हो गई थी.


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