पहले बिल्डिंग में Exit Door नहीं होते थे... फिर एक दिन ये घटना हुई और उसके बाद ये दरवाजे बनाए जाने लगे!
Emergency Door: शुरुआत में इमरजेंसी द्वार नहीं हुआ करते थे, लेकिन फिर एक दिन इतिहास में एक ऐसी घटना हुई, जिसने दुनिया को इमरजेंसी द्वार की जरूरत महसूस करा दी. आइए जानते हैं उस घटना के बारे में
Emergency Exit History: आपने ऐसी जगहों कहां ज्यादा लोग होते हैं, जैसे सिनेमा हॉल, ऑडिटोरियम, बस, प्लेन, ट्रेन आदि में Emergency Exit Door देखे होंगे. ऐसी भीड़ वाली जगहों पर यह अनिवार्य भी होते हैं. यहां तक कि अब तो ऑफिस, अस्पताल, शॉपिंग मॉल, स्कूल, कॉलेज और कोचिंग इंस्टीट्यूट तक में भी एग्जिट डोर या इमरजेंसी द्वार अनिवार्य कर दिया गया है. इस गेट को देखकर आपने मन में भी यह सवाल तो जरूर आता होगा कि आखिर ये गेट क्यों बनाया जाता है? हालांकि, इसके नाम से ही इसके काम का पता लग जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को इसको बनाने जाने की शुरुआत के पीछे का कारण नहीं पता है.
शुरुआत में इमरजेंसी द्वार नहीं हुआ करते थे. तब सिर्फ एंट्री का ही दरवाजा हुआ करता था. उसी से आना-जाना हुआ करता था. लेकिन फिर एक दिन इतिहास में एक ऐसी घटना हुई, जिसने दुनिया को इमरजेंसी द्वार की जरूरत महसूस करा दी. आइए जानते हैं उस घटना के बारे में जिसके बाद से पूरी दुनिया में EXIT DOOR का नियम बनाया गया...
यह थी वो घटना
बात है 16 जून 1883 की, जब इंग्लैंड में सुंदरलैंड शहर में बच्चों के लिए विक्टोरिया हॉल में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में कुल 1100 बच्चे शामिल हुए थे. सभी बच्चों की उम्र 3 से 14 वर्ष के बीच थी. इवेंट के लास्ट में एक अनाउंसमेंट किया गया कि सभी बच्चों को गिफ्ट दिए जाएंगे. जिसके लिए बच्चों को सीढ़ियों से होते हुए दूसरी तरफ जाना था. सीढ़ियों पर नीचे की तरफ एक दरवाजा था जो अंदर की तरफ को खुलता था और इसे सिर्फ इतना खोला गया था कि एक बार में एक ही बच्चा बाहर निकल सकता था.
180 से अधिक बच्चों की हुई थी मौत
गिफ्ट पाने के लिए उत्साहित बच्चे लंबी लाइन में लगने को तैयार नहीं थे और धक्का-मुक्की शुरू हो गई. चारों तरह चीख-पुकार मचने लगी. आयोजक भी स्थिति को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे. दरवाजा भी पूरा नहीं खुल पा रहा था क्योंकि उसके पीछे बच्चों की भीड़ भी. जब तक स्थिति कंट्रोल में आई तब तक 180 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो चुकी थी. इस घटना के बाद से पूरी दुनिया में EXIT DOOR या इमरजेंसी द्वार का नियम बनाया गया ताकि विषम परिस्थितियों में लोग आसानी से बाहर निकल सकें.
नियम और मानक
इसी तरह समय के साथ इसको लेकर कानून बने और ऐसी जगहों पर इमरजेंसी द्वार बनाना अनिवार्य कर दिया गया. इमरजेंसी द्वार के लिए तय नियम और मानकों के अनुसार यह दरवाजा बाहर की ओर खुलना चाहिए और इसमें एक लॉक भी होना चाहिए जिसे अंदर से भी खोला जा सके.
यह भी पढ़ें -
नेपाल में फिर हुआ विमान हादसा... आखिर यहां विमान यात्रा इतनी रिस्की क्यों है?