भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क में इजाफा करने के साथ ही टेक्नोलॉजी पर खास काम कर रहा है. अब ट्रेनों में कई तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और लोगों की यात्रा को आरामदायक बनाया गया है. ट्रेन के कोच भी अब पहले से काफी बदल गए हैं और उनमें कई फीचर्स एड किए गए हैं. ऐसे ही ट्रेन के टॉयलेट्स पर भी काफी काम किया गया है और इन्हें काफी आधुनिक बनाया गया है. अब ट्रेन में बायोटॉयलेट्स ने जगह ले ली है और इनमें फ्लश के सिस्टम को काफी बदल दिया गया है. अब कई ट्रेनों में तो इमरजेंसी फ्लश बटन भी शामिल किया है.
जी हां, कई ट्रेनों में इमरजेंसी फ्लश और सामान्य फ्लश के दो बटन होते हैं. क्या आप जानते हैं दोनों फ्लश का कब इस्तेमाल करना चाहिए और इमरजेंसी फ्लश का क्या काम होता है. तो जानते हैं इन दोनों का क्या काम है और इन्हें लगाने का उद्देश्य क्या है.
अब ट्रेन में दो बटन होते हैं और एक बटन के लिए नीचे लिखा होता है 'आपातकालीन फ्लश बटन' और एक बटन के नीचे लिखा होता है 'फ्लश के लिए दबाएं'. इन दिनों का अलग-अलग काम होता है. दूसरा वाला बटन सामान्य फ्लश यूज के लिए होता है, जो अक्सर लोग टॉयलेट यूज करने के बाद करते हैं. वहीं, आपातकालीन फ्लश बटन उस वक्त इस्तेमाल करने के लिए होता है जब टॉयलेट चोक हो जाए. दरअसल, कई लोग टॉयलेट में टीश्यू पेपर या और दूसरा कचरा टॉयलेट में डाल देते हैं, जिससे वो जाम हो जाता है.
इस स्थिति में टॉयलेट जाम होने के बाद इमरजेंसी फ्लश बटन का इस्तेमाल करना होता है. इस फ्लश को यूज करने पर ज्यादा वैक्यूम और पानी के साथ अटके हुए कचरे को हटाया जा सकता है और टॉयलेट को फिर से इस्तेमाल करने योग्य बनाया जा सकता है. अगर आपके साथ कभी ऐसी सिचुएशन आती है तो आप इस तरह से इन दोनों फ्लश का इस्तेमाल कर सकते हैं.
एक बार के फ्लश में कितना पानी?
सामान्य तौर पर घर में लगे टॉयलेट के फ्लश से बटन दबाने की स्थिति में 03 लीटर पानी निकलता है. मगर ट्रेन के साथ अलग है और इन्हें खास तरीके से बनाया जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार एसी कोच के टॉयलेट फ्लश को दबाने पर .05 लीटर या .08 लीटर पानी निकलता है.
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