क्या विलुप्त हो जाएंगे एम्परर पेंगुइन, जानिए कैसे क्लाइमेट चेंज इनके जीवन को प्रभावित कर रहा है?
जर्नल कम्युनिकेशन्स अर्थ एंड एनवायरमेंट में एक रिपोर्ट दावा करती है कि एम्परर पेंगुइन इस सदी के अंत तक विलुप्त हो सकते हैं. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अंटार्कटिका महाद्वीप पर बर्फ तेजी से पिघल रही है.
पेंगुइन ऐसे जीव हैं, जो धरती से सिर्फ एक खास हिस्से पर ही पाए जाते हैं. यानी अंटार्कटिक के पास. कहा जाता है कि ये धरती पर डायनासोर के समय से मौजूद हैं. लेकिन अब इनकी एक खास प्रजाति जिसे दुनिया एम्परर पेंगुइन के नाम से जानती है खतरे में है. वैज्ञानिकों को डर है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में पृथ्वी से एम्परर पेंगुइन खत्म हो जाएंगे. हाल ही में हुए एक रिसर्च में ये दावा किया गया है कि अंटार्कटिक में एम्परर पेंगुइन की 90 फीसदी रिहाइश खत्म हो जाएगी.
क्या कहती है रिसर्च?
जर्नल कम्युनिकेशन्स अर्थ एंड एनवायरमेंट में एक रिपोर्ट दावा करती है कि एम्परर पेंगुइन इस सदी के अंत तक विलुप्त हो सकते हैं. दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अंटार्कटिका महाद्वीप पर सीजनल्स सी आइस तेजी से घट रहे हैं, जिसकी वजह से एम्परर पेंगुइन की रिहाइश तेजी से खत्म हो रही है.
यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ की रिपोर्ट क्या कहती है?
एम्परर पेंगुइन्स के भविष्य को लेकर यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ भी चिंता में है. उसका कहना है कि शिकारियों से बचाने के लिए हम इनके लिए विशेष कानून ला सकते हैं, लेकिन जिस हिसाब से इन्हें क्लाइमेट चेंज से परेशानी हो रही है वो डराने वाला है. ये जीव एक साथ बस्तियों में रहते हैं और एक साथ बच्चों को जन्म देते हैं. लेकिन तेजी से पिघल रही बर्फ इनका घर उजाड़ रही है, बदलते जलवायु के चलते इनके प्रजनन क्रिया में भी परेशानियां आ रही हैं. यही वजह है कि इनका भविष्य अब खतरे में है.
अर्जेंट क्लाइमेट एक्शन की जरूरत
एम्परर पेंगुइन्स के भविष्य को लेकर बीते कई वर्षों से वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं. लेकिन क्लाइमेट चेंज पर उनके किसी भी प्रयास का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है. इसी क्लाइमेट चेंज की वजह से वेडेल सागर जहां एम्परर पेंगुइन्स की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी हैली बे कॉलोनी है वहां 2016 में भंयकर तबाही मची थी. इस तबाही में एम्परर पेंगुइन्स के कई नवजात बच्चे डूब गए थे. इसके बाद से ही दुनिया भर के वैज्ञानिक अर्जेंट क्लाइमेट एक्शन की मांग कर रहे हैं.
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