Climate Change: जानिए कोरोना के बाद किस तरह फैलेगी नई महामारी, वैज्ञानिकों को मिले हैं इसके संकेत!
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से दुनिया किसी महामारी की चपेट में आ सकती है. आइए जानते हैं अपने शोध में उन्होंने इस बारे में और क्या-क्या बताया है.
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Climate Change: आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग दुनिया की सबसे मुख्य समस्याओं में से एक है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु में भी परिवर्तन हो रहा है. यह नई-नई समस्याओं को जन्म दे सकता है. ऐसे ही पिछले दो साल में कोरोना वायरस ने खूब आतंक मचाया. कोरोना की वजह से कई लोगों की मौत हुई. भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में कोरोना से कई लोगों की मौत हुई. अब जाकर लोगो ने कुछ राहत की सांस ली है. ऐसे में शोधकर्ताओं ने कोरोना के बाद अब एक और महामारी आने का अनुमान लगाया है. खास बात यह है कि ये महामारी किसी पक्षी या जानवर की वजह से नहीं आएगी. इसका कारण शायद आपको हैरान कर सकता है. आइए जानते हैं कि आखिर दुनिया पर आने वाला ये संकट क्या है और इसके फैलने की वजह की क्या संभावनाएं हैं.
जलवायु परिवर्तन बनेगी महामारी की वजह
यह तो आपको पता है कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का प्रकोप तेजी से बढ़ता ही जा रहा है. जलवायु में होने वाले इस परिवर्तन की वजह से दुनिया भर के ग्लेशियर तेजी से और तीव्र स्तर पर पिघल रहे हैं. वैज्ञानिको का मानना है कि आने वाले वाले समय की अनुमानित महामारी किसी ओर कारण से नही, बल्कि इन्ही ग्लेशियर की वजह से होने वाली है. जी हां, इस महामारी का मुख्य कारण ये पिघलने वाले ग्लेशियर ही बताए जा रहे हैं. दरअसल, वैज्ञानिकों ने इसपर एक शोध किया. इस शोध में मिट्टी के खास अध्ययन से सामने आया है कि आने वाले वक्त में ग्लेशियर की वजह से एक वायरस का आगमन हो सकता है. बताया जा रहा है कि इसकी वजह से एक Viral Spillover की स्थिति बन रही है.
यह होता है वायरल स्पिलओवर
दुनिया में कई तरह के वायरस हैं, लेकिन उन्हें बढ़ने के लिए कुछ खास कोशिकाओं की आवश्यकता होती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्लेशियर के पिघलने से इस प्रकार की कोशिकाएं पैदा हो सकती हैं. ये कोशिकाएं वायरस को फैलाने में मदद कर सकती हैं. इस प्रक्रिया को ही वायरल स्पिलओवर कहा जाता है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वैसे-वैसे ग्लेशियरों का पिघलना भी बढ़ता जाता है. ज्यादा तापमान बढ़ने पर ग्लेशियर भी उतनी ही तेजी से पिघलते हैं. ऐसे में पहले से बर्फ में फंसे वायरस और बैक्टीरिया के नए मेजबान खोजने की संभावना बढ़ जाती है और वायरस स्पिल ओवर बढ़ने की संभावना होती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे कोई बीमारी ही हो. इसलिए इसे भविष्यवाणी जैसा नहीं माना जा सकता है. यह सिर्फ अनुमान है.
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