इस देश में 12 नहीं 13 महीने का होता है एक साल, 2015 में जी रहे हैं लोग
जिस देश की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है इथोपिया. इथोपिया में अभी भी साल 2015 ही चल रहा है. यह एक अफ्रीकी देश है जो दुनिया से लगभग 7 साल पीछे चल रहा है.
साल 2023 को आए पूरे 1 महीने बीतने को हैं. पूरी दुनिया नए साल में नई उमंग के साथ नए-नए काम करने में जुट गई है. लेकिन इसी पृथ्वी पर एक देश ऐसा भी है जो अभी भी साल 2015 में जी रहा है. यहां 'साल 2015 में जी रहा है' का मतलब टेक्नोलॉजी और आधुनिकता में पीछे नहीं होना है, बल्कि इस देश के कैलेंडर में ही अभी भी साल 2015 ही चल रहा है. यहां तक कि जहां पूरी दुनिया में 12 महीने का 1 साल होता है, वहीं इस देश में 13 महीने का 1 साल मनाया जाता है. चलिए जानते हैं यह अनोखा देश कौन सा है.
इथोपिया का कैलेंडर पीछे क्यों चलता है
जिस देश की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है इथोपिया. इथोपिया में अभी भी साल 2015 ही चल रहा है. यह एक अफ्रीकी देश है जो दुनिया से लगभग 7 साल पीछे चल रहा है. इस देश में 1 साल 12 के बजाय 13 महीने में पूरा होता है. सबसे बड़ी बात कि यहां की जनता ने भी इसी सिस्टम को सदियों से फॉलो किया है और आज भी करते आ रहे हैं. इसलिए अगर आप टाइम ट्रेवल करना चाहते हैं और समय में पीछे जाना चाहते हैं तो आप एक बार इथोपिया जरूर घूम कर आएं.
7 साल पीछे कैसे चल रहा है इथोपिया
इथोपिया के 7 साल पीछे चलने के लिए उसका कैलेंडर जिम्मेदार है. दरअसल, यहां का कैलेंडर पूरी दुनिया के कैलेंडर से अलग है. इथोपिया के लोग जुलियस सीजर का बनाया कलैंडर यूज करते हैं. इसीलिए इस देश में 12 के बजाय 13 महीनों का 1 साल होता है और यह देश बाकी दुनिया के मुकाबले 7 साल पीछे चल रहा है. दरअसल, जब पूरी दुनिया ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को आधार मानकर अपने यहां कैलेंडर बनाएं और उसे स्वीकार किया, तब इथोपिया ने इस कैलेंडर को मानने से इंकार कर दिया और वह जुलियस सीजर द्वारा बनाए गए जूलियन कैलेंडर को मानने लगा.
किसने की थी ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत
जिसे पूरी दुनिया मानती है उसे ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है. इसकी शुरुआत पोप ग्रेगोरी 13वें ने साल 1582 में की थी. इन्होंने यह कैलेंडर जूलियन कैलेंडर में सुधार करके बनाया था और 1 जनवरी को नए साल का पहला दिन करार दिया था. पूरी दुनिया में यही कैलेंडर लागू होता है, लेकिन अकेले इथोपिया ने इसे मानने से इनकार कर दिया था और अपने यहां वह पुराने जूलियन कैलेंडर को ही मानने पर अटल रहा.
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