मक्खी... एक ऐसा जीव जो लगभग हर जगह आसानी से देखने को मिल जाता है. मक्खियां किसी को पसंद नहीं होती हैं. इनकी भिनभिनाहट से हर कोई चिढ़ता है. ये हमारे खाने पर बैठकर उसको प्रदूषित करती है. आपने गौर किया हो तो मक्खियां जब भी कहीं बैठती है, तब ये लगातार अपनी टागों को रगड़ती रहती हैं. टांगे रगड़ने के साथ-साथ ये अलर्ट भी रहती हैं, तभी तो आसानी से पकड़ में नहीं आती हैं. क्या आप जानते हैं मक्खियां अपनी टांगे क्यों रगड़ती रहती है? आइए पढ़ते हैं मक्खियों से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी.


मक्खी को अंग्रेजी में Musca Domestica कहते हैं. इनकी की जिंदगी मात्र कुछ हफ्तों की होती है. इसलिए इनपर रिसर्च करना आसान होता है. तीन-चार हफ्तों में ही इनकी तीन-चार पीढ़ियों पर रिसर्च हो जाती है. इन्ही रिसर्च में इनके बारे में काफी रोचक जानकारी मिलती है.


शरीर पर होते हैं रोएं


बाकी कीड़ों की तुलना में घरेलू मक्खियां सबसे ज्यादा पाई जाती है. इनका शरीर हल्का भूरा और रोएंदार होता है. आमतौर पर एक मक्खी की लंबाई करीब 07 मिमी होती है और दो लाल रंग की आंखें होती हैं. मक्खियां मुंह से काट नहीं सकती हैं. इनका मुंह दो स्पंजी गद्दियों से बना होता है. 


स्ट्रॉ जैसी होती है जीभ


इनके भोजन करने का तरीका भी काफी अलग होता है. इनके दांत नहीं होते हैं. मक्खी का मुंह कुछ ऐसा होता है कि यह स्पंज की तरह काम करता है और भोजन को सोख लेते हैं. इनकी जीभ किसी स्ट्रॉ जैसी होती है, इसलिए इनका भोजन तरल पदार्थ होते हैं. दूसरे कीड़ों को खाने के दौरान भी ये उनके भीतरी भाग को ही चूसती हैं. इसकी लार में बहुत कीटाणु होते हैं, ये उन्हे भोजन पर छोड़कर उसे दूषित कर देती है.


इसलिए रगड़ती हैं पैर


मक्खी के पूरे शरीर पर बहुत सारे बारीक रोएं रहते हैं और इसकी जीभ पर भी किसी चिपचिपे पदार्थ की परत चढ़ी होती है. मक्खी खुद को साफ करने के लिए अपने पैरों को रगड़ती है. इस दौरान यह अपने रोओं पर चिपके मैल को हमारे भोजन पर डाल देती है. इस मैल में बेहद खतरनाक रोगों के कीटाणु होते हैं. ये कीटाणु मैल के साथ हमारे भोजन में मिल जाते हैं और हमे बीमार कर देते हैं. सामान्य तौर पर मक्खी से फैलने वाली बीमारियों में मियादी बुखार, तपेदिक और हैजा प्रमुख हैं. 


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