दुनियाभर में भुखमरी सबसे बड़ी समस्या है. क्या आप जानते हैं कि दुनिया का हर 11 वां इंसान भुखमरी का शिकार है. जी हां, हर 11 वां इंसान रात में खाली पेट सोने को मजबूर है. आज हम आपको बताएंगे कि भुखमरी के आंकड़ों में कितना इजाफा हुआ है और वैश्विक स्तर पर इसको किस तरीके से देखा जा रहा है. 


भुखमरी वैश्विक समस्या 


दुनियाभर में भुखमरी सबसे बड़ी वैश्विक समस्या है. जनसंख्या बढ़ने के साथ ही दुनियाभर में भुखमरी का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. आंकड़ा कहता है कि दुनिया का हर 11 वां इंसान भुखमरी का सामना करने को मजबूर है. वहीं दुनिया की एक तिहाई आबादी ऐसी है, जो पोषण युक्त आहार खरीदने में सक्षम नहीं है. लेकिन सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात ये है कि इस आधुनिक दुनिया में हर 11वां इंसान अभी भी खाली पेट सोने को मजबूर है. आसान भाषा में कहा जाएगा तो दुनिया में 73.3 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें भरपेट खाना नसीब नहीं हो रहा है. 


विश्व की खाद्य सुरक्षा और पोषण की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 की तुलना में भुखमरी के आंकड़ों में काफी इजाफा हुआ है. भुखमरी का आंकड़ा कहता है कि इन लोगों की संख्या में 15.2 करोड़ का इजाफा हुआ है. हालांकि दुनियाभर के सभी देशों में सबसे ज्यादा स्थिति अफ्रीका की खराब है. अकेले अफ्रीका देश में हर पांचवा इंसान भुखमरी का सामना करने को मजबूर है. बता दें कि “द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2024” नामक यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अन्तरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी), यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने संयुक्त रूप से प्रकाशित की है.


भुखमरी की स्थिति 


रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 233 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें नियमित तौर पर पर्याप्त भोजन हासिल करने के लिए जूझना पड़ता है. वहीं इनमें 86.4 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें कुछ समय बिना भोजन के गुजारना पड़ता है. वैश्विक स्तर पर ये रिपोर्ट चिंताजनक है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर यही स्थिति बनी रहेगी तो 2030 तक करीब 58.2 करोड़ लोगों को लम्बे समय तक कुपोषण से जूझना पड़ सकता है. यह स्थिति खासकर अफ्रीका के लिए काफी ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि इनमें से करीब आधे लोग अफ्रीकी महाद्वीप के होंगे.


स्वस्थ आहार


जानकारी के मुताबिक दुनिया में स्वस्थ आहार तक पहुंच भी एक गंभीर मुद्दा है.  दुनिया की एक तिहाई आबादी को प्रभावित कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में करीब 280 करोड़ से ज्यादा लोग पोषण युक्त आहार का खर्च उठा पाने में असमर्थ थे. यह समस्या कमजोर देशों में कहीं ज्यादा गंभीर है, वहां पर 71.5 फीसदी आबादी स्वस्थ पोषण युक्त आहार का खर्च उठा पाने में असमर्थ है. हालांकि एशिया, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में महामारी से पहले की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन अफ्रीका में स्थिति कहीं ज्यादा खराब हुई है.


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