हर बारिश में ये बड़ी नदियां दिखाती हैं अपना रौद्र रूप, पानी से मच जाती है तबाही
हर साल मानसून के वक्त उत्तर भारत से लेकर पश्चिम चंपारण तक कई नदियों का जल स्तर बढ़ जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के प्रमुख किन नदियों के कारण बाढ़ आता है.
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देशभऱ में हर साल मानसून के कारण अलग-अलग राज्यों में भारी तबाही दिखने को मिलती है. मानसून के वक्त देश की कई नदियां उफान पर अपना रौद्र रूप दिखाती हैं, जिसके कारण कई इलाके प्रभावित होते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि देश की वो कौन सी प्रमुख नदियां हैं, जो भारी बारिश के कारण तबाही मचाती है.
बारिश
उत्तर बिहार में लगातार वर्षा से नदियों में उफान पर रहती है. वहीं पश्चिम चंपारण से लेकर मिथिलांचल तक नदियां को जल स्तर भी बढ़ जाता है. हर साल इन नदियों का जल स्तर बढने के कारण लाखों लोग प्रभावित होते हैं.
ये नदियां उफान पर
ब्रह्मपुत्र
बता दें कि चीन से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी दुनिया की नौंवी सबसे लंबी नदी है. हर साल बारिश के कारण इस नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और ये असम के साथ अरुणाचल प्रदेश और बांग्लाबांग्लादेश के कई इलाकों को प्रभावित करता है.
कोसी नदी
कोसी नदी को लेकर आपने सुना होगा कि इसे कई बार बिहार का अभिशाप भी कहा जाता है. क्योंकि हर साल बारिश के समय कोसी से लगते कई जिलों में भीषण बाढ़ आती है और सबकुछ अपने साथ बहाकर ले जाती है. बता दें कि खासकर बिहार के सहरसा सुपौल, मधेपुरा और आसपास के जिलों में तबाही हर साल की बात है. 2008 कोसी नदी ने बिहार में भारी तबाही मचाई थी, उस बाढ़ में 23 लाख लोग प्रभावित हुए थे. ये नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है और बिहार में भीम नगर के रास्ते से दाखिल होती है. इस नदी ने पिछले 250 वर्षों में 120 किमी का विस्तार कर चुकी है.
गंडक
नेपाल से आने वाली नदियों में गंडक और बूढ़ी गंडक प्रमुख नदियां हैं. बारिश के बाद इनके उफान से बिहार के कई जिले प्रभावित होते हैं. इन जिलों में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली एवं सारण जिलों के कई इलाके शामिल हैं.
बागमती
नेपाल से ही निकलने वाली बागमती नदी उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ की प्रमुख कारण है. इनमें सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी समेत कई अन्य जिले भी हो सकते हैं. बिहार में इस नदी की कुल लम्बाई 394 किलोमीटर है. वहीं इसकी सहायक नदियां हैं, विष्णुमति, लखनदेई, लालबकेया, चकनाहा, जमुने, सिपरीधार, छोटी बागमती और कोला नदी है.
गोमती
बता दें कि गोमती उत्तर प्रदेश में बहने वाली एक प्रमुख नदी है. इसका उद्गम पीलीभीत जिले की तहसील माधौटान्डा के पास फुल्हर झील से होता है. भारी बारिश कारण गोमती समेत कई नदियों का पानी उफान पर होता है. गोमती नदी में बाढ़ के कारण लखनऊ से सटे बीकेटी और इटौंजा के कई इलाके बाढ़ जैसे हालात का सामना करते हैं.
नर्मदा
नर्मदा नदी का उफनता पानी मध्य प्रदेश और गुजरात के कई इलाकों में हर साल तबाही का कारण बनता है. यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है. मध्य प्रदेश में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है. लेकिन जून 2015 में आए मॉनसून ने गुजरात को पानी-पानी कर दिया था. कई बार ये नदी बाढ़ कारण बनती है.
गोदावरी
गोदावरी नदी महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बहते हुए राजमुन्द्री शहर के समीप बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है. वहीं इसकी उपनदियों में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजिरा हैं. बरसात के समय गोदावरी का जल स्तर भी बढ़ जाता है और जिसके कारण आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी और पश्चिमी गोदावरी जिले और महाराष्ट्र के नासिक समेत कई जिले प्रभावित होते हैं.
गंगा
गंगा नदी को उत्तर भारत की जीवनरेखा कहा जाता है. गंगा भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है. यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती है. उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू-भाग सींचती है. गंगा का जलस्तर बढ़ने पर सबसे ज्यादा उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र को दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
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