गंगा किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित भारत का एक पवित्र धार्मिक स्थल हरिद्वार है. दुनिया और देशभर से हर साल लाखों तीर्थयात्री हरिद्वार पहुंचते हैं. हरिद्वार में हरकी पैड़ी समेत कई घाट और मंदिर हैं, जहां पर श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज के हरि द्वार को प्राचीन समय में किन नामों से जाना जाता था. आज हम आपको हरिद्वार का प्राचीन नाम बताएँगे.
हरिद्वार
बता दें कि हरि द्वार का अर्थ होता है हरि का द्वार. हिंदू धर्म में हरि भगवान विष्णु को कहा जाता है. उत्तराखंड के चार धामों में एक बद्रीनाथ भी भगवान विष्णु का मंदिर है. इसलिए हरिद्वार को भगवान विष्णु तक पहुंचने का एक द्वार भी कहा जाता है. हरिद्वार के सबसे खास घाट हरकी पैड़ी को ब्रहाकुंड कहा जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत यहां पर ही गिरा था.
गेटवे टू गॉड्स
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. क्योंकि केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री,गंगोत्री चार धामों के अलावा यहां सैंकड़ों प्राचीन मंदिर मौजूद हैं. इन सभी मंदिरों का इतिहास हजारों साल पुराना है. लेकिन उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र इन मंदिरों में प्रवेश के लिए हरिद्वार होकर आना पड़ता है, इसलिए इसे गेटवे टू गॉड्स भी कहा जाता है.
मायापुरी
बता दें कि हरिद्वार का सबसे प्राचानी नाम मायापुरी है. इस जगह की सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती है. इसके अलावा हरिद्वार को प्राचीन समय में गंगाद्वार भी कहा गया है. क्योंकि पहाड़ों से निकलने के बाद हरिद्वार भी ही गंगा मैदानी इलाकों में आती है.
हर की पैड़ी घाट
हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध हर की पैड़ी घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भृतहरि के याद में बनवाया था. इसी घाट पर राजा श्वेत ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने के लिए कहा, तो राजा श्वेत ने कहा कि इस स्थान का नाम भगवान के नाम पर होना चाहिए. कहा जाता है कि उसी समय से हर की पैड़ी के जल को ब्रह्मा कुंड कहा जाता है.
हर की पैड़ी घाट के पीछे बलवा पर्वत पर मनसा देवी मां का मंदिर है. वहीं गंगा नदी के दूसरे तरफ नील पर्वत पर चंडी देवी मंदिर बना हुआ है. चंडी देवी का मंदिर कश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ईं में बनवाया गया था. वहीं हरिद्वार में भारत के प्रमुख 51 शक्तिपीठों में एक माया देवी का मंदिर है. इस मंदिर में माता सती का ह्दय और नाभि गिरा था.