अखियों के झरोखें से मैंने देखा जो सांवरे...आपने ये गाना तो सुना ही होगा. आंखों के बारे में सिर्फ इतना ही नहीं कहा गया है. शेरों-शायरी की दुनिया में टहल कर आइए तो आंखों पर पूरा रिसर्च पेपर लिखा जा सकता है, लेकिन कभी सोचा है कि आंखों पर इतना कुछ क्यों लिखा गया है और कैसे लोग किसी की आंखों में देखते हैं तो देखते रह जाते हैं? यहां तक कि उसमें डूब तक जाते हैं.
किसी की खूबसूरती का जिक्र करना होता है तो शुरुआत आंखों से ही होती है. आपने यह बहुतों को कहते सुना होगा कि फलां व्यक्ति की आंखें बहुत खूबसूरत हैं. यहां तक कि लोग आंखों की तुलना झील, नदी और समंदर न जाने किस-किस से कर देते हैं. दरअसल, किसी से मिलने-मिलाने का सिलसिला तो बाद में शुरू होता है, सबसे पहले हमारी आंखें ही किसी को देखती हैं और फिर वही तस्वीर हमेशा के लिए मन में बस जाती है और ये आंखें जिसे नेत्र, नयन, लोचन, चक्षु न जाने क्या-क्या कहते हैं, कहीं इनका कॉन्टैक्ट हो गया तो कहने ही क्या...
छोटी पुतलियों का क्या है राज
अंग्रेजी में कहा जाता है First Impression is the Last Impression. यानी आपने पहली बार में जिसको जैसा देखा, वैसा ही वह मन में बस गया. अब आते हैं असल मुद्दे पर. साइंस डायरेक्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छोटी पुतलियों वाली आंखें लोगों को ज्यादा अट्रैक्टिव लगती हैं. इस पर बाकायदा प्रयोग तक किया गया है. रिसर्च में शामिल 60 फीसदी लोगों का कहना था कि उन्हें छोटी पुतलियों वाले लोगों की आंखें ज्यादा खूबसूरत लगीं.
आइरिस के कलर का भी असर
आपने कई लोगों को देखा होगा, जिनकी आइरिस सामान्य रंग से अलग होती है. मसलन- नीली, हरी, या फिर भूरी. यह सब मेलेनिन की वजह से होता है. रिसर्च के मुताबिक, 60 फीसदी से ज्यादा पुरुषों को नीली आंखों वाली महिलाएं आकर्षक लगती हैं. इसके अलावा उन्हें ग्रे, ब्राउन और ग्रीन आइरिस वाली महिलाएं भी पसंद आती हैं. वहीं महिलाओं को भूरी आंखों वाले पुरुष ज्यादा पसंद आते हैं.
पलकों का भी पड़ता है असर
रिसर्च सिर्फ हमारी आंखों, उनकी पुतलियों और आइरिस पर ही नहीं हुई है. एक स्टडी में कहा गया है कि पलकें भी लोगों को अट्रैक्ट करने में अहम भूमिका निभाती हैं. महिलाओं के लिए यह 1:4 और 1:3 है, वहीं पुरुषों के लिए यह करीब 1:10 या फिर 1:4 है. इन मानक वाले व्यक्ति की आंखों को सुंदर माना गया है.
आई कॉन्टैक्ट पर सिंक हो जाती हैं पुतलियां
अब बात आई कॉन्टैक्ट की. कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि जब कोई व्यक्ति किसी की आंखों में देखता है, तो उसकी पतुलियां सामने वाले की पुतलियों से सिंक हो जाती हैं. यानी पुतलियां फैल या सिकुड़ सकती हैं. ये इंटरेक्शन का अहम हिस्सा है. एक्सपर्ट का कहना है कि आंखों का संपर्क हमें दूसरों को समझने और कनेक्ट करने में मदद करता है.
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