Fake Police Encounter: आजकल हर दूसरे दिन एनकाउंटर की बात होती है, खबरों में देखने को मिलता है कि पुलिस ने किसी अपराधी का एनकाउंटर कर दिया. ज्यादातर ऐसे मामले उत्तर प्रदेश से आते हैं. इनमें से कई एनकाउंटर ऐसे भी होते हैं, जिन्हें लेकर सवाल भी उठते हैं. हाल ही में मंगेश यादव एनकाउंटर को लेकर काफी बवाल हुआ था. ऐसे ही कई बड़े एनकाउंटर के मामले हैं, जो काफी चर्चा में रहे. हालांकि ज्यादातर मामलों में पुलिस को क्लीन चिट मिल जाती है, लेकिन एक ऐसा मामला भी है, जिसमें 18 पुलिसवालों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
पुलिसवालों के साथ हुई झड़प
ये चर्चित मामला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का है, जहां एक युवक अपनी नौकरी के इंटरव्यू के सिलसिले में आया था, लेकिन पुलिस के साथ बहस के बाद उसका एनकाउंटर कर दिया गया. मामला पहले सबके सामने नहीं आया, सभी को जो कहानी पुलिस की तरफ से बताई गई वो काफी दिलचस्प और फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह थी.
दरअसल बात साल 2009 की है, जब देहरादून में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का दौरा होना था. इसके लिए हर चौक-चौराहे पर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद थी. इसी दौरान देहरादून के आराघर के नजदीक तीन युवक बाइक पर आ रहे थे, जिन्हें चौकी इंचार्ज और बाकी पुलिसवालों ने रोक लिया. इस दौरान तीनों युवकों और पुलिसवालों के बीच बहस हो गई और बताया गया कि बात हाथापाई तक पहुंच गई. दो युवक तो भाग गए, लेकिन रणबीर सिंह नाम के युवक को पुलिस ने पकड़ लिया.
ऐसे हुआ एनकाउंटर
पुलिस ने झगड़ा करने और हाथ उठाने का बदला लेने के लिए रणबीर सिंह का एनकाउंटर करने का फैसला किया. इसके बाद उसे लाडपुर इलाके के जंगल में ले जाकर गोलियां मारी गईं. पुलिसवालों ने अपना गुस्सा उतारने के लिए उसके शरीर पर 20 से ज्यादा राउंड फायर किए. यानी बदला लेने के लिए पुलिस ने इस फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया, साथ ही बाद में एक कहानी बनाकर इसे असली एनकाउंटर करार दे दिया.
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ये थी पुलिस की कहानी
पुलिस ने राष्ट्रपति के दौरे को ढाल बनाते हुए एक कहानी बनाई, जिसमें बताया कि चेकिंग के दौरान तीन युवकों को पुलिस ने रोका और उन लोगों ने पुलिसवालों के साथ मारपीट की. इस दौरान पुलिस की पिस्तौल छीनने की भी कोशिश की गई. पिस्तौल छीनकर युवक जंगल की तरफ भागे और वहां पुलिस के साथ मुठभेड़ में रणबीर सिंह मारा गया. बाकी दो युवक मौके से फरार हो गए.
इसके बाद इस एनकाउंटर की खबर तेजी से मीडिया में फैल गई और रणबीर सिंह के पिता ने इस पूरे एनकाउंटर को फर्जी करार दिया. बाकी लोग भी जब सवाल उठाने लगे तो मामला सीबी-सीआईडी को सौंप दिया गया. इसके बाद जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो पुलिसवालों की पोल खुलनी शुरू हुई. पुलिसवालों ने रणबीर को मारने से पहले बुरी तरह पीटा था और बाद में उसे करीब 22 गोलियां मारी गईं.
कोर्ट ने सुनाई सजा
सीबी-सीआईडी ने पूरी रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी और ये साबित हो गया कि रणबीर सिंह एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी था. जून 2014 में तीस हजारी कोर्ट ने 18 पुलिसवालों में से 17 को उम्रकैद की सजा सुनाई, वहीं एक पुलिसवाले को बाद में सबूत मिटाने के लिए दोषी करार दिया गया. इसके बाद ये मामला देश के सबसे बड़े फर्जी एनकाउंटर की लिस्ट में सबसे ऊपर पहुंच गया. ये ऐसा अकेला मामला था, जिसमें एक साथ इतने पुलिसवालों को सजा सुनाई गई थी.
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