वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानी 23 जुलाई के दिन आम बजट पेश करेंगी. इस बजट में भारतीय रेलवे का खर्च और कमाई का भी लेखा-जोखा रहेगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ साल पहले तक रेलवे का बजट अलग से पेश होता था, लेकिन फिर इसे एक ही बजट में शामिल करके संयुक्त बजट पेश किया गया था. 


बजट


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई के दिन बजट पेश करेगी. ये बजट संयुक्त बजट होता है, जिसमें रेलवे समेत सभी का बजट एक साथ होता है. हालांकि 2017 से पहले तक रेलवे का बजट अलग से पेश होता था. लेकिन अरुण जेटली ने 2017 में आजाद भारत का पहला संयुक्त बजट पेश करके 92 सालों की परंपरा को खत्म किया था.


नई सरकार का पहला बजट


गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 का पहला आम बजट पेश करने जा रही हैं. बता दें कि बजट में सरकार के खर्च और इनकम का लेखा-जोखा होता है. इसमें यह भी बताया जाता है कि किस मंत्रालय को कितने पैसे आवंटित किए जाएंगे. 2023-24 के बजट में सबसे ज्यादा पैसा रेल मंत्रालय को दिया गया था. 


संसद में दो बजट


बता दें कि पहले भारतीय संसद में दो बजट पेश होते थे, पहला रेल बजट और आम बजट था. लेकिन भारत सरकार ने 21 सितंबर 2016 को आम बजट के साथ रेल बजट के विलय को मंजूरी दी थी. इसके बाद 2017 में आजाद भारत का पहला संयुक्त बजट संसद में पेश किया गया था. उस समय अरुण जेटली भारत के वित्त मंत्री थे. उन्होंने 1 फरवरी,2017 को 92 साल से चली आ रही प्रथा को खत्म किया था.


क्यों अलग था रेलवे का बजट?


अब सवाल ये है कि आखिर क्यों पहले रेलवे का बजट अलग था. बता दें कि भारत में बजट पेश करने का सिलसिला 160 साल पुराना है. 19वीं शताब्दी में रेलवे यात्रा करने और माल ढोने का एक प्रमुख विकल्प था. उस समय यह अर्थव्यवस्था और समाज के लिए बहुत जरूरी था, हालांकि आज भी बहुत जरूरी है. बता दें कि 1924 के आते-आते पूरे देश के बजट में रेलवे की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत की हो चुकी थी.


जानकारी के मुताबिक विलियम एक्कर्थ के नेतृत्व में गठित हुई समिति ने अपनी सिफारिशों में रेल बजट को आम बजट से अलग करने का सुझाव दिया था. इस समिति का गठन साल 1920 में हुआ था. एक्कर्थ समिति ने तर्क दिया था कि रेलवे अकेले भारत की सबसे बड़ी आर्थिक गतिविधि का संचालन कर रहा है. ऐसे में इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए और इसका बजट अलग होना चाहिए.


आजाद भारत 


1947 में भारत की आजाद के बाद भी राजस्व में रेलवे की हिस्सेदारी काफी ज्यादा थी. इसे ध्यान में रखकर 1949 में गोपालस्वामी आयंगर समिति ने सिफारिश की थी कि अलग रेलवे बजट की परंपरा जारी रहनी चाहिए. इस संबंध में संविधान सभा ने एक प्रस्ताव को अप्रूव किया था. आजाद भारत में रेल मंत्री जॉन मथाई ने देश का पहला रेल बजट पेश किया था.


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