जब गुरुत्वाकर्षण की वजह से सब चीजें नीचे गिरती हैं तो फिर आग की लौ ऊपर क्यों जाती है?
Fire Behaviour: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के कणों का भार ऑक्सीजन के कणों से कम होता है. आइए इस बारे में विस्तार से समझने के लिए इस खबर में नीचे चलते हैं.
Gravity And Fire: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण ही सब चीज नीचे की ओर गिरती हैं. यह इतना अधिक प्रभावशाली होता है कि वायु के कण भी कुछ समय हवा में तैरने के बाद जमीन पर आ ही जाते हैं. आग को जलते हुए तो सबने देखा है. अब प्रश्न यह है कि जब हम आग जलते हैं तो इसकी लौ सीधे आसमान की तरफ क्यों लपकती है. जबकि जिस पदार्थ के कारण यह जलती है वह खुद जमीन की तरफ गिरता है. सवाल यह है कि जब वायु में उपस्थित छोटे-छोटे कण भी गुरुत्वाकर्षण से नहीं बच पाते है तो आग की लपटें गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त कैसे रहती हैं? आइए जानते हैं.
कार्बन डाइऑक्साइड होती है हल्की
कैंपियन स्कूल के स्टूडेंट अधिराज प्रताप ने इस प्रश्न से संबंधित कुछ जानकारी इकट्ठा की. संग्रहित की गई इस जानकारी के अनुसार सभी वैक्स अनिवार्य रूप से हाइड्रोकार्बन होते हैं, इसका मतलब है कि वे काफी हद तक हाइड्रोजन (एच) और कार्बन (सी) परमाणुओं से बने होते हैं. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के कणों का भार ऑक्सीजन के कणों से कम होता है. यही कारण है कि ऑक्सीजन के कण कार्बन डाइऑक्साइड के कणों को हटाते हुए नीचे की तरफ चले जाते हैं. हम यह भी कह सकते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड हल्की होती है इसलिए ऊपर की तरफ जाती है और ऑक्सीजन भारी है इसलिए नीचे बैठती है.
आग के माध्यम कर निर्भरता
जब हम आग को जलाते हैं तो चाहे उसका उसका माध्यम दीपक की बाती हो या चूल्हे की लकड़ी या फिर मोमबत्ती के बीच में धागा, जब ये जलते हैं तो इनसे कई सारी गर्म गैसें निकलती हैं. ये वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन को नष्ट करते हैं. जब तक यह प्रक्रिया चल रही होती है तब तक हमको आग की लपटें दिखाई देती रहती हैं. आग की लपटों का आकार भी माध्यम पर निर्भर करता है. मोमबत्ती का धागा छोटा होता है इसलिए इसे कम आग निकलती है, लकड़ी का आकार बड़ा होता है इसलिए यह थोड़ा विकराल रूप लेती है.
ऑक्सीजन कणों की संख्या करती है प्रभावित
असल में आग ऊपर की तरफ नहीं भड़कती है, बल्कि यह पृथ्वी की तरफ आ रहे ऑक्सीजन के कणों को नष्ट कर रही होती है और इस प्रक्रिया में जो दृश्य बनता होता है उससे ऐसा लगता है कि जैसे आग ऊपर की तरफ भड़क रही है. लेकिन जब ऑक्सीजन के कणों की संख्या ज्यादा हो जाती है वह गर्म गैसों पर हमला कर देते हैं और इसके कणों को तितर-बितर कर देते हैं. ऐसा होने पर आपको लगता है कि आग बुझ गई है.
हवा, पानी और बाकी चीजों का अपना एक अस्तित्व होता है, लेकिन अग्नि का कोई अस्तित्व नहीं होता है. यह सिर्फ गर्म गैसों के संगठित होने के कारण दिखाई देती है और ऑक्सीजन के हमले से संगठन टूटते ही विलुप्त हो जाती है.
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