Jogendra Nath Mandal With Jinnah: जिन्ना का बेहद करीबी था ये हिंदू नेता, बाद में बना पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री
Jogendra Nath Mandal With Jinnah: जोगेंद्र नाथ मंडल को जिन्ना का बहुत करीबी माना जाता था. जोगेंद्र नाथ वो शख्सियत थे जो कि पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री बने थे. लेकिन जिन्ना की मौत के बाद उनको भारत लौटना पड़ा.

Jogendra Nath Mandal With Jinnah: बात 8 अक्टूबर 1950 की है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान अपने दफ्तर में बैठे थे, तभी एक शख्स अपना इस्तीफा लेकर वहां पहुंचा. वह पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्र नाथ मंडल थे. वह पाकिस्तान में एक दलित हिंदू नेता की भूमिका में थे, साथ ही साथ उस देश के पहले कानून मंत्री भी थे. कानून मंत्री का यह पद उनको मुहम्मद अली जिन्ना की वजह से मिला था. दरअसल मुहम्मद अली जिन्ना उन पर बहुत भरोसा करते थे. लेकिन बाद में उनको भारत लौटना पड़ा था.
दलित समाज को सुधारना चाहते थे जोगेंद्र नाथ
जोगेंद्र नाथ का जन्म अविभाजित बंगाल के बारिसाल (अब बांग्लादेश) में 29 जनवरी 1904 को हुआ था. उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी, लेकिन वकालत करने के लिए नहीं बल्कि दलित समाज की खराब दशा को सुधारने के लिए. वो कॉलेज के दिनों में ही यह तय कर चुके थे कि एक बार राजनीति में आने के बाद वह दलित समाज को सुधारने का काम करेंगे. ऐसे में 1937 में वह बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए और बाद में मंत्री बने. बाद में जब कांग्रेस से मोहभंग हो गया तो वे मुस्लिम लीग से जुड़ गए.
पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री
जोगेंद्र नाथ मंडल उन लोगों में से जिन पर मुहम्मद अली जिन्ना बहुत भरोसा करते थे. वो उनके करीबियों में से एक थे. उन्होंने पाकिस्तान के विकास और आधुनिक करने का सपना देखा था. मंडल पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा को राष्ट्रमंडल और कश्मीर मामलों में दूसरे मंत्री भी थे. मंडल विभाजन के बाद 1947 में पाकिस्तान की संविधान सभा के सदस्य बने. जब तक जिन्ना जिंदा थे तब तक तो पाकिस्तान में उनकी दाल गली, लेकिन जिन्ना की मौत के बाद उनको दर किनार कर दिया गया. 1948 में जिन्ना की मृत्यु के बाद जोगेंद्र नाथ हाशिए पर चले गए.
क्यों लौटना पड़ा भारत
मार्च 1949 में मंडल ने एक विवादास्पद प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें पाकिस्तानियों के लिए कई सिद्धांत थे. इसमें ब्रह्मांड पर अल्लाह की संप्रभुता, लोकतंत्र के सिद्धांत और स्वतंत्रता सभी को इस्लाम के अनुसार देखा गया. पाकिस्तान बनने के बाद से ही गैर मुस्लिमों की हालत बिगड़ने लगी, जब मंडल ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो उनकी देशभक्ति पर लोगों को शंका होने लगी. उन्होंने लियाकत अली के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और 8 अक्टूबर 1950 को भारत वापस आ गए.
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