फिल्म इंडस्ट्री में फिल्मों को री-रिलीज का चलन तेजी से बढ़ रहा है. पुरानी फिल्मों को फिर से दर्शकों के सामने लाना न केवल उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने का एक तरीका है, बल्कि यह नई पीढ़ी को भी पुरानी फिल्मों से जोड़ने का मौका है. हाल ही में कई साल पुरानी वीर-जारा और तुम्बाड़ को री-रीलीज किया गया. इन फिल्मों ने हाल ही में बनी फिल्मों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया. वहीं कुछ दिनों पहले भी पुरानी फिल्मों को री-रीलीज किया गया था. जिसका दर्शकों पर खासा क्रेज दिखा. ऐसे में चलिए जानते हैं कि किसी फिल्म को री-रीलीज कैसे किया जाता है और क्या इसके लिए भी कुछ खास नियम हैं?


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क्या है री-रीलीज का मतलब?


री-रिलीज का मतलब है कि किसी फिल्म को फिर से सिनेमा हॉल में दिखाना. यह कई कारणों से किया जाता है, जैसे कि फिल्म की खास सालगिरह, खास मौका या दर्शकों की मांग. री-रिलीज का मुख्य उद्देश्य पुरानी फिल्मों को नए सिरे से दिखाना और दर्शकों की पुरानी यादों को ताजा करना होता है.


री-रिलीज की प्रक्रिया


किसी फिल्म को री-रिलीज करने की प्रक्रिया में कई कदम शामिल होते हैं. री-रिलीज के लिए फिल्म के निर्माता या स्टूडियो से अधिकार और अनुमति लेनी होती है. यह सुनिश्चित करना जरुरी है कि सभी कॉपीराइट और वितरण अधिकार सही तरीके से समझौता किए गए हों. वहीं यदि आवश्यक हो तो फिल्म को नए तरीके और संपादन के साथ तैयार किया जा सकता है. यह एक जरुरी कदम है, खासकर जब फिल्म को डिजिटल प्लेटफॉर्मर्स पर रिलीज किया जा रहा हो.


इसके अलावा री-रिलीज के लिए एक प्रभावी मार्केटिंग रणनीति की जरुरत होती है. सोशल मीडिया, ट्रेलर और अन्य प्रचार माध्यमों के जरिए दर्शकों को आकर्षित करना जरुरी होता है. साथ ही यह समझना जरूरी है कि री-रिलीज किस तरह की दर्शक समूह को ध्यान में रखकर की जा रही है. क्या यह नई पीढ़ी के दर्शकों के लिए है या पुरानी पीढ़ी के लिए.


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तुम्बाड़ और वीर जारा की री-रिलीज


2018 में रिलीज हुई तुम्बाड बहुत ही शानदार फिल्म थी जो अपनी अनोखी कहानी और तकनीकी प्रभावों के लिए जानी गई. इसकी री-रिलीज ने इसे पसंद करने वाले दर्शकों को एक बार फिर नया मौका दिया.


वहीं 2004 में रिलीज़ हुई वीर-ज़ारा एक क्लासिक रोमांटिक फिल्म है. इसकी री-रिलीज ने न केवल पुरानी यादों को ताज़ा किया, बल्कि नई पीढ़ी को भी इस फिल्म के प्रति आकर्षित किया.


दर्शकों का प्रेम


पुरानी फिल्में री-रीलीज करके थियेटर्स किसी नुकसान में नहीं हैं. यानी इनकी री-रिलीज से भी दर्शकों में उत्साह है और थियेटर्स में लोग इन फिल्मों को देखने जा रहे हैं. ऐसे में उस समय की सफल फिल्मों को री-रिलीज करना किसी तरह के घाटे का सौदा नहीं है.


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