खेलते-खेलते अपना पूरा सिर उखाड़ देता है ये जीव, फिर भी रहता है जिंदा
साल 1933 में वैज्ञानिक थॉमस हंट मॉर्गन ने इन जीवों पर रिसर्च की थी और पता लगया था कि हमारे जीन, डीएनए के जरिए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं.
अब तक आपने सुना होगा कि अगर छिपकली की पूंछ कट जाए तो वो उसे फिर से उगा सकता है. यहां तक कि कॉक्रोच भी बिना सिर के कई घंटों तक जिंदा रह सकता है. लेकिन क्या आप एक ऐसे जीव के बारे में जानते हैं जो अपना सिर खुद उखाड़ लेता है और उससे खेलता रहता है. चलिए आज आपको इस खास जीव के बारे में बताते हैं जो हम सब के आसपास पाया जाता है.
कौन सा है वो जीव
हम जिस जीव की बात कर रहे हैं वो एक घरेलू मक्खी है. हां, वही मक्खी जिसे आप पर रोज उड़ा देते हैं. इंसानों के बीच रहने वाली ये मक्खी कई बार अपना हाथ रोल करते-करते अपने सिर को ही उखाड़ देती है और फिर अपने उखड़े हुए सिर को ही रोल करना शुरू कर देती है. इंटरनेट पर इससे जुड़ा एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
मक्खी ऐसा क्यों करती है?
मक्खियां ऐसा जानबूझ कर नहीं करतीं. ना ही ऐसा करने से उन्हें कुछ फायदा होता है. यह एक्सीडेंटली हो जाता है. दरअसल, मक्खियों को अपने आगे के दोनो हाथों को रोल करनी की आदत होती है. कभी आप ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि मक्खियां अपने इन हाथों को लगातार रोल करती रहती हैं. कभी-कभी ऐसा करते हुए मक्खियां अपने सिर को भी रोल करने लगती हैं और फिर उनका सिर उनके शरीर से अलग हो जाता है. हालांकि, कुछ समय तक मक्खियों को भी नहीं पता होता कि उनके साथ हुआ क्या. एक्सपर्ट की मानें तो ऐसा होने के बाद मक्खियां सिर्फ कुछ समय के लिए ही जिंदा रहती हैं.
मक्खियों पर रिसर्च और नोबेल पुरस्कार
जिन मक्खियों को आप अहमियत नहीं देते, इंसानों के लिए वो बेहद जरूरी हैं. दरअसल, मक्खियों की जिंदगी महज कुछ हफ्तों की होती है इसलिए उन पर रिसर्च करना आसान होता है. अगर आप कुछ मक्खियों को अपने लैब में रखें तो एक से दो हफ्ते में आप उनकी तीन पीढ़ियों पर एक साथ रिसर्च कर सकते हैं. साल 1933 में वैज्ञानिक थॉमस हंट मॉर्गन ने मक्खियों पर रिसर्च की थी और पता लगया था कि हमारे जीन, डीएनए के जरिए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं. इस रिसर्च के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था. आपको बता दें, मक्खी का वैज्ञानिक नाम 'ड्रॉसोफिला मेलानोग्लैस्टर' होता है.