जब भी आप टिफिन में खाना पैक करते हैं तो रोटी पैक करने के लिए फॉइल पेपर का इस्तेमाल करते होंगे. फॉइल पेपर यूज करने के फायदे और नुकसान को लेकर कई तरह की रिपोर्ट्स हैं. मगर कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि बहुत बड़े वर्ग को फॉइल पेपर को सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता है और गलत तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, फॉइल पेपर में दो साइड होती है और लोग दोनों को एक जैसा ही मानते हैं, इस वजह से सही और गलत साइड का ध्यान नहीं रहता है.
तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर फॉइल पेपर का सही साइड क्या होता है और किस तरह से फॉइल पेपर को पैक करना चाहिए. जानते हैं फॉइल पेपर से जुड़ी कुछ खास बातें...
फॉइल पेपर किस तरफ से सीधा होता है?
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर तीसरा घर रोजाना खाना पैक के लिए एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल करता है. हैरानी की बात ये है कि कोई भी परवाह नहीं करता है कि फॉइल पेपर की सही या गलत साइड कौनसी है. वैसे अगर आप फॉइल पेपर को देखते हैं तो आप देख सकते हैं कि एक तरफ चमकीला या साइनी साइड होता है जबकि दूसरी तरफ थोड़ा डल या सिंपल प्लेटफॉर्म होता है. बहुत से लोग पैक करने के लिए साइनी पसंद करते हैं जबकि कई लोग डल साइड को अंदर यानी रोटी से टच करते हुए रखते हैं.
कई रिसर्च में सामने आया है कि शाइनी साइड अधिक गर्मी को दर्शाता है जबकि डल साइड गर्मी का बेहतर कंडक्टर है और खाना पकाने में भी मदद करता है. टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि ये सिर्फ कंपनी की डिजाइन और बनाने के तरीके की वजह से होता है. इन्हें बनाने की अलग अलग प्रोसेस होने की वजह से साइड अलग अलग होती है और इसका कोई प्रभाव नहीं होता है. ऐसे में कहा जाता है कि इन्हें दोनों तरफ से इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, कई रिपोर्ट्स में इसके इस्तेमाल के कई नुकसान बताए गए हैं.
क्या है इसके नुकसान?
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एनवायरमेंट हेल्थ साइंसेज में बतौर टॉक्सिलॉजिस्ट काम करने वाले जीन हैरी कहते हैं कि एल्मुनियम में कई न्यूरोटॉक्सिक एलिमेंट पाए जाते हैं. अगर आप फॉइल पेपर में कोई भी एसिटिक चीज रखते हैं तो यह आपके शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इसके साथ ही जब आप गरमा गरम रोटियां फॉइल पेपर में लपेटते हैं, तो इसके ताप से एल्मुनियम पिघलने लगता है.
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