पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसने अपने अस्तित्व के ज्यादातर समय सैन्य शासन के साये में गुजारा है. देश की स्थापना के बाद से ही सैना ने यहां की राजनीति में खास भूमिका निभाई है. कई बार सेना ने सीधे तौर पर सत्ता पर कब्जा कर लिया है, जिससे देश का लोकतांत्रिक विकास बाधित हुआ है. ऐसे में इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर पाकिस्तान में कितने समय तक मिलिट्री का कंट्रोल रहा है.


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पाकिस्तान में क्या रहा है सैन्य शासन का इतिहास?


पाकिस्तान में सैन्य शासन का इतिहास काफी लंबा और कठिन रहा है. वहां देश की स्थापना के बाद से ही सेना की राजनीति में दखलंदाजी देखने को मिली है. ऐसे में तीन बार पाकिस्तान सेना के कंट्रोल में रहा है. यानी कुल मिलाकर लगभग 33 साल पाकिस्तान सेना के कब्जे में रहा.


1958: पहला सैन्य शासन: जनरल अयूब खान ने 1958 में देश में मार्शल लॉ लगाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया. उन्होंने 11 साल तक देश पर शासन किया.


1977: दूसरा सैन्य शासन: जनरल ज़ियाउल हक ने 1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया. उन्होंने इस्लामीकरण का अभियान चलाया और देश को एक धार्मिक राष्ट्र बनाने की कोशिश की.


1999: तीसरा सैन्य शासन: जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में नवाज शरीफ को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया. उन्होंने देश में आपातकाल लगाया और संविधान में कई संशोधन किए.


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क्यों लगा सेना का शासन?


पाकिस्तान में सेना के शासन के कई कारण हैं. देश की स्थापना के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता बनी रही है. विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच लगातार टकराव होता रहा है, जिससे देश का विकास बाधित हुआ है. इसके अलावा पाकिस्तान हमेशा से आर्थिक समस्याओं से जूझता रहा है. सैन्य शासकों ने अक्सर आर्थिक संकट से निपटने के लिए सत्ता पर कब्जा किया है. साथ ही पाकिस्तान पर हमेशा से पश्चिमी देशों का प्रभाव रहा है. इन देशों ने अक्सर पाकिस्तान में सैन्य शासन को समर्थन दिया है. वहीं पाकिस्तानी समाज में सेना का काफी प्रभाव है. सेना को देश का रक्षक माना जाता है और लोगों का मानना है कि सेना ही देश को सही रास्ते पर ले जा सकती है.                


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