पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को 10 साल की सजा, भारत में ऐसे पद पर रह चुके शख्स के लिए क्या नियम?
भारत में पूर्व प्रधानमंत्री को किसी भी मामले में जांच का सामना करना पड़ सकता है और दोषी पाए जाने पर उन पर कार्रवाई भी हो सकती है. इतिहास में ऐसी घटनाएं भी हुई हैं.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को साइफर केस में 10 साल की सजा सुनाई गई है. पाकिस्तान के अखबरा डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व पीएम इमरान खान के अलावा देश के पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी इस केस में 10 साल की सजा सुनाई गई है. आपको बता दें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को यह सजा ऑफीशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत गठित स्पेशल कोर्ट ने सुनाई है. खैर, आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री को क्या कोर्ट से सजा हो सकती है और अगर सजा हो सकती है तो यह किन मामलों में हो सकती है.
सबसे पहले जानिए साइफर का मतलब क्या होता है
पूर्व पीएम इमरान खान को जिस साइफर केस में सजा हुई है. चलिए पहले इसके बारे में जानते हैं. दरअसल, साइफर का मतलब होता है सीक्रेट कीवर्ड में लिखा कोई संदेश. दो देशों के बीच इस तरह के डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन होते रहते हैं. हालांकि, इन्हें पूरी तरह से गुप्त और प्रतिबंधित रखा जाता है. यानी इसे लीक करना या फिर कॉपी करना पूरी तरह से गैरकानूनी होता है.
अब समझिए भारत में पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े कानून
भारतीय कानून के मुताबिक, जब तक कोई व्यक्ति देश के प्रधानमंत्री के पद पर है तब तक उसके खिलाफ किसी मामले में जांच नहीं हो सकती. हालांकि, जैसे ही व्यक्ति पीएम के पद से हटेगा वह भारतीय कानून के दायरे में ठीक वैसे ही आ जाएगा जैसे कोई आम भारतीय नागरिक आता है. यानी भारत में पूर्व प्रधानमंत्री को किसी भी मामले में जांच का सामना करना पड़ सकता है और दोषी पाए जाने पर उन पर कार्रवाई भी हो सकती है. इतिहास में ऐसी घटनाएं भी हुई हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी
यह घटना 1977 के आपातकाल के बाद की है. दरअसल, आपातकाल के बाद देश में जब चुनाव हुए तो इसमें जनता पार्टी को जीत मिली और केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार बनी. सरकार बनते ही मांग उठने लगी की इंदिरा गांधी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए और उन्हें गिरफ्तार किया जाए. फिर आई 19 दिसंबर 1978 की तारीख. इस दिन लोकसभा से पहले इंदिरा गांधी को निलंबित किया गया और फिर उन्हें गिरफ्तार किए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ.
दिनभर इस पर खूब बवाल मचा फिर रात में लोकसभा अध्यक्ष ने इंदिरा गांधी के गिरफ्तारी के आदेश जारी किए. स्पीकर के आदेश जारी करने के बाद तत्कालीन सीबीआई ऑफिसर एनके सिंह को जिम्मेदारी दी गई कि वह इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करें. एन के सिंह अपनी टीम के साथ संसद भवन पहुंचे और वहां से उन्होंने इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इस गिरफ्तारी के बाद सात दिन तक दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया था.
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