एडवोकेट से लेकर अटॉर्नी जनरल तक, जानें क्या होता है इनमें अंतर
कोर्ट में आपने एडवोकेट से लेकर अटॉर्नी जनरल तक नाम सुनते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें अंतर क्या होता है? चलिए आज हम आपको बताते हैं.
कानूनी पेशे में हम कई अलग-अलग पदों के नाम सुनते हैं, लेकिन कम ही लोग इनमें अंतर समझ पाते हैं. जो लोग इस पेशे में हैं उन्हें तो इसका अंतर पता है लेकिन जो इस पेश से दूर हैं वो इन सब में अंतर नहीं समझ पाते. क्योंकि इन अलग-अलग पदों का उद्देश्य, अधिकार और जिम्मेदारियां अलग-अलग होती हैं. खासतौर पर, "एडवोकेट" (Advocate) और "अटॉर्नी जनरल" (Attorney General) जैसे पदों के बीच एक सामान्य नागरिक को अंतर समझने में परेशानी होती है. तो चलिए इस आर्टिकल में हम इन पदों के अंतर को समझते हैं.
यह भी पढ़ें: भारतीयों के लिए कई देशों में वीजा फ्री एंट्री, क्या इसके बाद फ्लाइट टिकट के अलावा नहीं होता कोई भी खर्च?
कानूनी पद कितने होते हैं और उनमें अंतर क्या होता है?
एडवोकेट- "एडवोकेट" एक कानूनी पेशेवर होता है जो अपने क्लाइंट (ग्राहक) के लिए कोर्ट में मुकदमा लड़ता है. एडवोकेट को हिंदी में वकील कहा जाता है. इनकी जिम्मेदारी कानूनी सलाह देना, मुकदमा लड़ना और दस्तावेज तैयार करना होती है.
वकील- कानूनी रूप से वकील और एडवोकेट शब्द एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन वकील एक सामान्य शब्द है जिसे कानूनी पेशे से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है, जिनमें एडवोकेट, सॉलिसिटर और कानूनी सलाहकार शामिल होते हैं.
अटॉर्नी जनरल- अटॉर्नी जनरल, भारत में सबसे जरुरी कानूनी पदों में से एक है. इस पद पर बैठा व्यक्ति भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है. अटॉर्नी जनरल का चयन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है और वह केंद्रीय सरकार के लिए कानूनी सलाह देने का काम करता है. इस पद कि जिम्मेदारी सरकार को कानूनी सलाह देना, सरकारी पक्ष का प्रतिनिधित्व करना और सरकार के मामलों का नियमन करना होता है.
यह भी पढ़ें: भारत के इस राज्य में फसलों में नहीं किया जाता कीटनाशकों का प्रयोग! जान लीजिए नाम
सॉलिसिटर जनरल- सॉलिसिटर जनरल, अटॉर्नी जनरल के सहायक के रूप में काम करता है. यह भारत सरकार के कानूनी मामलों में अटॉर्नी जनरल का सहयोगी होता है. इस पद पर बैठे व्यक्ति की जिम्मेदारी अटॉर्नी जनरल की सहायता करना और कानूनी रणनीतियां तैयार करना होती है.
कानूनी सलाहकार- कानूनी सलाहकार का काम किसी संस्था, कंपनी या व्यक्ति को कानूनी मामलों पर सलाह देना होता है. यह पद ज्यादातर निजी क्षेत्रों में देखने को मिलता है, जहां किसी संस्थान को कानूनी मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.
जज- कानूनी क्षेत्र में एक जज का रोल काफी जरुरी होता है. जज को अदालत में मामलों की सुनवाई करने और न्यायिक फैसले देने का अधिकार प्राप्त होता है. जज का काम निष्पक्ष रूप से सभी पक्षों को सुनना और संविधान तथा कानून के मुताबिक निर्णय लेना होता है.
यह भी पढ़ें: जेल में रहकर भी ब्रांडेड कपड़े पहनता है लॉरेंस बिश्नोई, परिवार इतने लाख करता है खर्च