शिमला का संजौली क्षेत्र इन दिनों किसी युद्ध के मैदान से कम नहीं लग रहा है. यहां कभी लाठीचार्ज होता है कभी पथराव तो कभी वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया जाता है. संजौली मस्जिद विवाद अब सिर्फ हिमाचल तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि पूरे देश में इसका आग फैली हुई है. ये मामला आज का नहीं बल्कि 14 साल पुराना है, हालांकि हाल ही में इसकी आग तेजी से भड़की है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में देश में किन-किन जगहों पर मस्जिदों को लेकर विवाद हो चुका है.
दिल्ली का मस्जिद विवाद
दिल्ली में मस्जिदों को लेकर विवाद अक्सर छाया रहता है. जामिया मिलिया इस्लामिया और जामा मस्जिद जैसी प्रमुख जगहें विवादों के केंद्र में रही हैं. जामा मस्जिद, जो दिल्ली की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिदों में से एक है, अतिक्रमण और स्थानीय विकास के मुद्दों को लेकर विवादित रही है. इसके अलावा 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हुए दंगों के दौरान कई मस्जिदों को नुकसान पहुंचा, जिससे धार्मिक तनाव और विवाद बढ़ गए.
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अयोध्या मस्जिद विवाद
अयोध्या का मस्जिद विवाद एक ऐतिहासिक मामला है जिसने भारतीय राजनीति के साथ ही समाज पर भी काफी प्रभाव डाला, बाबरी मस्जिद के साथ विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर कई सालों तक संघर्ष और विवाद चलता रहा. साल 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के बाद, ये विवाद और भी गहरा गया. आखिरकार, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया, जिससे वहां राम मंदिर के निर्माण की अनुमति मिल गयी. इस फैसले से पूरा देश प्रभावित हुआ था.
मथुरा का मस्जिद विवाद
मथुरा में भी मस्जिदों को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है. कृष्ण जन्मभूमि के आसपास स्थित मस्जिदों को लेकर पिछले कई सालों से विवाद चल रहा है. खासतौर पर शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर कई धार्मिक समूहों द्वारा प्रदर्शन और आंदोलन किए गए. यहां पर विवाद का केंद्र कृष्ण जन्मभूमि के ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक महत्व से जुड़ा हुआ है. ये विवाद अब भी स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं का विषय है. समय-समय पर इस मस्जिद पर विवाद उठता रहता है.
भोपाल में जामा मस्जिद पर विवाद
राजधानी भोपाल में संस्कृति बचाओ मंच ने दावा किया था कि जामा मस्जिद पहले शिव मंदिर था. उसे तोड़कर जामा मस्जिद की शक्ल दिया गया. संगठन ने इस मामले में मध्य प्रदेश के तत्कालिन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को एक ज्ञापन भी सौंपा. इसमें चौक बाजार स्थित जामा मस्जिद में पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराने की मांग की गई थी. संस्कृति बचाओ मंच के प्रदेश अध्यक्ष ने कोर्ट में याचिका भी दायर करने की बात कही थी. विवाद को देखते हुए जामा मस्जिद पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था.
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों पर बनी मस्जिद से जुड़ा एक विवाद है. हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगज़ेब ने 1664 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी. हिंदू पक्ष का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था. वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां से शुरुआत से ही मस्जिद थी और यहां कभी मंदिर नहीं था. 1991 में हरिहर पांडे, सोमनाथ व्यास, और रामरंग शर्मा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में मांग की गई थी कि ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराया जाए. सर्वे के दौरान, बैरिकेडिंग के बाहर उत्तर से पश्चिम दीवार के कोने पर पुराने मंदिरों का मलबा मिला था. इस मलबे पर देवी-देवताओं की कलाकृतियां बनी हुई थीं. सर्वे रिपोर्ट में भी मस्जिद परिसर में हिंदू आस्था से जुड़े कई निशान मिलने की बात कही गई थी.
एएसआई ने 4 अगस्त को ज्ञानवापी परिसर के सीलबंद हिस्से को छोड़कर बैरिकेड वाले क्षेत्र में सर्वेक्षण शुरू किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने “विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण” को साल 2023 में 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक दिया था, और कहा कि आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए “कुछ समय” दिए जाने की आवश्यकता है.
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