गांधार कैसे बना अफगानिस्तान का शहर कंधार, महाभारत काल से जुड़ा है इसका इतिहास
अफगानिस्तान का शहर कंधार हमेशा से चर्चा में रहता है. तालिबान के आने के बाद यहां बम विस्फोट जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं आज का कंधार कभी गांधार देश हुआ करता था.
अफगानिस्तान का कंधार शहर हमेशा से अलग-अलग कारणों से चर्चा में रहा है. लेकिन अब तालिबान के शासन में कंधार की स्थिति और बिगड़ गई है और अक्सर वहां से बम धमाकों का आवाज आती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज का कंधार कभी गांधार नाम से जाना जाता था और इसका महाभारत से भी कनेक्शन है. आज हम आपको गांधार यानी आज के अफगानिस्तान शहर कंधार के बारे में बताएंगे.
अफगानिस्तान
आज कंधार अफगानिस्तान का एक प्रमुख शहर है. लेकिन यहां पर तालिबान का शासन है. अफगानिस्तान का इतिहास तब से शुरू होता है, जब यह प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र था, जिसे 'गांधार' कहा जाता था. लेकिन अब ये शहर तालिबान के कारण बदनाम हो चुका है. इस शहर का पुराना नाम 'क्वांधर' था, जो गांधार क्षेत्र के नाम से लिया गया था.
इतिहास
इतिहास के मुताबिक कंधार हमेशा से एक रणनीतिक स्थल रहा है, जो मध्य एशिया और भारत के लिए मुख्य फ़ारसी मार्गों पर स्थित है. कंधार को 329 ईसा पूर्व में सिकंदर ने जीता था, लेकिन 305 ईसा पूर्व में यूनानियों ने चंद्रगुप्त को सौंप दिया था. वहीं अशोक के एक शिलालेख द्वारा इसे प्रतिष्ठित किया गया है. यह 7वीं शताब्दी ई.पू. में अरब शासन के अधीन था और 10वीं शताब्दी में ग़ज़नवियों के अधीन था. लेकिन कंधार को चंगेज खान ने नष्ट किया और फिर तुर्क विजेता तैमूर ने भी इसे नष्ट कर दिया था, जिसके बाद यह मुगलों के कब्जे में आ गया था. उस वक्त मुगल सम्राट बाबर ने ठोस चूना पत्थर से एक पहाड़ी पर 40 विशाल सीढ़ियाँ बनवाई, जिस पर उसके गौरवपूर्ण विजयों का विवरण दर्ज करने वाले शिलालेख लगे हैं. 1747 में यह एकीकृत अफ़गानिस्तान की पहली राजधानी बनी थी.
महाभारत काल से कनेक्शन
बता दें कि महाभारत काल में गांधार अफगानिस्तान में ही स्थित था, इसका तथ्य ये भी है कि देश के शहरों में से एक को अभी भी कंधार के नाम से जाना जाता है. यह शब्द गांधार से उत्पन्न हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सुगंधों की भूमि’ है. इस शब्द का उल्लेख ऋग्वेद, महाभारत और उत्तर-रामायण जैसे विभिन्न पुराने ग्रंथों में मिलता है. सहस्त्रनाम के मुताबिक गांधार भगवान शिव के नामों में से एक है. यह भी माना जाता है कि गांधार के पहले निवासी शिव के भक्त थे.
महाभारत और कंधार के बीच संबंध
गांधार साम्राज्य में आज का पूर्वी अफगानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम पंजाब शामिल हैं. महाभारत ऋषि वेद व्यास द्वारा लिखित एक संस्कृत महाकाव्य है. इसमें कौरव और पांडव राजकुमारों के बीच युद्ध की कहानी शामिल है. इस ग्रंथ के मुताबिक लगभग 5500 वर्ष पूर्व गांधार पर राजा सुबाला का शासन था. उनकी गांधारी और शकुनि नाम की एक बेटी और एक बेटा था. उनकी बेटी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था, जो हस्तिनापुर साम्राज्य के राजकुमार थे और बाद में राजा बने थे.
गांधार बना कंधार
महाभारत की कथा के मुताबिक गांधारी के 100 पुत्र थे, जिन्हें कौरव कहा जाता था. जिन्हें पांडव भाइयों द्वारा युद्ध के बाद दुखद नुकसान का सामना करना पड़ा था. युद्ध के बाद जो लोग बच गए थे, वे गांधार साम्राज्य में बस गए और धीरे-धीरे आज के सऊदी अरब और इराक में चले गये थे. गांधार क्षेत्र से शिव उपासकों के धीरे-धीरे खत्म होने और बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ गांधार का नाम कंधार हो गया था. इतना ही नहीं चंद्रगुप्त, अशोक, तुर्क विजेता तैमूर और मुगल सम्राट बाबर जैसे मौर्य शासकों ने भी इस क्षेत्र पर शासन किया था. माना जाता है कि इन्हीं शासकों में से किसी एक के शासन काल में गांधार का नाम बदल गया था.
गांधार देश की राजधानी
बता दें कि तक्षशिला गांधार देश की राजधानी थी. इसे वर्तमान में रावलपिन्डी कहा जाता है. तक्षशिला को ज्ञान और शिक्षा की नगरी भी कहा गया है. इतना ही नहीं हिंदू कथाओं के मुताबिक कौरवों की माता गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप दिया था, जिस कारण पूरी द्वारिका नगरी समुद्र में डूब गई थी. इसी के साथ गांधारी ने अपने भाई शकुनि को भी श्राप दिया था, क्योंकि गांधारी अपने पुत्रों की मृत्यु के लिए अपने भाई को भी उतना ही दोषी मानती थी, जितना श्रीकृष्ण को मानती थी. इसलिए गांधारी ने श्राप दिया कि मेरे 100 पुत्रों को मारने वाले गांधार नरेश तुम्हारे राज्य में कभी शांति नहीं रहेगी, यहां हमेशा ही क्लेश का वातावरण बना रहेगा. माना जाता है कि गांधारी के इस श्राप के कारण ही अफगानिस्तान में कभी भी शांति का माहौल नहीं रहता है.
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