Airbag Procedure: यात्रियों की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए कारों में अनिवार्य रूप से 6 एयर बैग्स (Air Bags) का नियम 1 अक्टूबर, 2022 से लागू होना था, लेकिन केंद्र सरकार ने फिलहाल इसे एक साल के लिए टाल दिया है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि कारों में 6 एयरबैग्स अनिवार्य करने के प्रस्ताव को 1 अक्टूबर 2023 तक के लिए टाल दिया गया है.
एयरबैग का जिक्र होने पर आपके मन में एक सवाल तो जरूर आता होगा की आखिर कारों में ये एयरबैग्स सुरक्षा प्रणाली काम कैसे करती है? एयरबैग्स को कैसे पता चलता है कि एक्सीडेंट हुआ है? और एयरबैग्स खुलते कैसे हैं. आइए जानते हैं आपके इन्हे सवालों के जवाब -
यह है एयरबैग
दरअसल, एयरबैग कॉटन से बना एक कपड़ा होता है जिस पर सिलिकॉन की कोटिंग की जाती है. इसमें सोडियम एजाइड (Sodium azide) गैस भरी होती है. ये एयरबैग गाड़ी में आगे की तरफ डैशबोर्ड में या फिर गाड़ी की स्टीयरिंग में लगा होता है. जब आपकी कार तेजी से किसी चीज से टकराती है या डिसबैलेंस होती है तो एयरबैग खुलकर यात्री के आगे की ओर एक गुब्बारा सा बना लेते हैं, जिससे एक्सीडेंट होने पर यात्री का पूरा वजन बैग पर पड़ता है और उसके सेफ रहने की संभावना बढ़ जाती है.
ऐसे काम करते हैं गाड़ी के एयरबैग्स
बता दें, एयरबैग का एक पूरा सिस्टम होता है. इसमें कुछ सेंसर भी होते हैं. ये सेंसर कार के बोनट के पास लगाए जाते हैं. जैसे ही एक्सीडेंट होता है तो ये सेंसर एयरबैग को एक्टिव कर देते हैं, जिसके बाद एयरबैग बाहर आ जाते हैं और फूल जाते हैं. यह प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है. इन एयरबैग्स की खुलने की स्पीड 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है.
एयरबैग फूलता कैसे है
एयरबैग के पीछे सोडियम एजाइड गैस से भरा सिलेंडर लगा होता है, जो सॉलिड फॉर्म में होता है. इसको जब तेजी से गर्म किया जाता है तो यह गैस में बदल जाता है. थोड़ा सा सोडियम एजाइड बैग में भरकर नाइट्रोजन गैस बना देता है. सेंसर तार के जरिए गैस सिलेंडर से जुड़े होते हैं और जब कार का एक्सीडेंट होता है तो वो सिलेंडर तक इलेक्ट्रिक करंट पहुंचा देते हैं, जिससे सॉलिड कैमिकल गैस बन जाता है और एयरबैग फूल जाते हैं. इस पूरे प्रोसेस में मात्र कुछ माइक्रोसेकेंड ही लगते हैं.
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