जीबी रोड को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. अब रेड लाइट एरिया की वजह से इस जगह का नाम पूरे भारत में फेमस है. जीबी रोड कोठों की दुनिया से अलग हार्डवेयर के मार्केट की वजह से भी काफी जाना जाता है, यहां दिन में सामान्य बाजार की दुकानें खुलती हैं, लेकिन रात में तस्वीर बदल जाती है. यहां के कोठों के बारे में आपने बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन आज हम इसके नाम और इस गली के इतिहास के बारे में जानते हैं कि आखिर इस जगह का क्या इतिहास रहा है और किस तरह इसे ये नाम मिला है.
क्या है जीबी रोड की कहानी?
सबसे पहले तो आपको बता देते हैं कि इस जगह का नाम अभी जीबी रोड नहीं, बल्कि स्वामी श्रद्धानंद मार्ग है, लेकिन अभी भी इसे जीबी रोड ही कहा जाता है. यहां तक कि इस जगह लगे जीबी रोड के सरकार बोर्ड पर भी श्रद्धानंद मार्ग लिखा हुई और ब्रेकिट में जीबी रोड लिखा हुआ है. बताया जाता है कि साल 1966 में इस जगह का आधिकारिक नाम जीबी रोड से श्रद्धानंद मार्क कर दिया गया था.
अगर इसके नाम की बात करें तो दिल्ली की एक पुरानी जगह है, जिसका नाम शाहजहानाबाद है और यह दीवार से घिरा हुआ था. दीवार में कई गेट और बुर्ज थे. इन बुर्ज को अंग्रेजी में Bastion कहा जाता है. इनमें एक बुर्ज का नाम एक अंग्रेजी अफसर के नाम पर रखा गया था, जो जीबी रोड के पास है. इस अंग्रेजी अफसर का नाम गारस्टिन था.
वहीं कहा जाता है कि दिल्ली में पांच कोठे करते थे और इस अफसर गारस्टिन बास्टियन रोड ने इन सभी को इस जगह पर इकट्ठा करने का काम किया. इसके बाद इस रोड का नाम उनके नाम रख दिया गया. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उस अंग्रेजी अफसर के नाम इसका नाम रख दिया गया और शॉर्टकट में इसे जीबी रोड कहा जाने लगा. इसके बाद इसे गारस्टिन बास्टिन रोड कहा जाता है. वैसे अब इसका नाम बदल दिया गया है.
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