First World War: प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से शुरू होकर 1981 में खत्म हुआ था. इस युद्ध में नागरिकों और लड़ाकों सहित करोड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.इस दौरान रासायनिक हथियार का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हुआ था. एक अनुमान के मुताबिक इस लड़ाई में हुई कुल मौतों में से 85 प्रतिशत रासायनिक हथियार की वजह से हुई थीं. सबसे ज्यादा मस्टर्ड गैस का रासायनिक हथियार के रूप इस्तेमाल किया गया था. अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताएंगे कि मस्टर्ड गैस किस तरह से एक घातक रासायनिक हथियार साबित हुई-


जर्मनी ने बड़े पैमाने पर किया इस्तेमाल-


जर्मनी ने रासायनिक हथियार के तौर पर जहरीली मस्टर्ड गैसे का इस्तेमाल खासकर कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस की सेना पर किया था. जिसकी वजह से उनके अनगिनत सैनिक और साथ ही आम नागरिक भी मारे गए थे. रासायनिक हथियारों के उपयोग ने प्रथम विश्वयुद्ध को बहुत ही विध्वंसकारी बना दिया था. 


ऐसे असर करती है जहरीली मस्टर्ड गैस-


मस्टर्ड गैस बहुत ही जहरीली होती है. खुली त्वचा पर यह फफोले डाल देती है. इस बेहद जहरीले रसायन की चपेट में आने से त्वचा सहित आंख और फेंफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. किसी पर इसके हमले के 1 से 6 घंटे के बाद इसका असर दिखाई पड़ता है. 


प्रथम विश्वयुद्ध में भारत-


प्रथम विश्वयुद्ध में भारत सीधे तौर पर शामिल नहीं हुआ था क्योंकि उस वक्त हमारे देश पर अंग्रेजी हुकूमत का शासन था. हमारे लाखों सैनिक ब्रिटेन के समर्थन में युद्ध में उतरे थे. जिनमें से हजारों की संख्या में शहीद हो गए और अनगिनत सैनिक घायल हो गए थे.


इस युद्ध में अग्रेजों को भारतीयों का समर्थन मिलने का एक कारण यह भी था कि लोगों को यह उम्मीद थी कि इसके बाद ब्रिटिश सत्ता भारत को स्वराज दे सकती है या फिर यहां के लोगों के हित में संवैधानिक सुधार करेगी लेकिन युद्ध के बाद ऐसा नहीं हुआ. 


कई साल तक चला था प्रथम विश्वयुद्ध-


1914 से शुरू होकर प्रथम विश्वयुद्ध कई सालों तक चला और 1918 में जाकर खत्म हुआ. इस युद्ध में जर्मनी की हार हुई और उस पर तमाम प्रतिबंध लगाए थे. कहा जाता है कि प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति नहीं बल्कि विराम हुआ था.


इसी विश्वयुद्ध के बाद हुई संधि और जर्मनी पर अतार्किक तरीके से थोपे गए प्रतिबंधों के चलते दूसरे विश्वयुद्ध की नींव पड़ी जो कि पहले विश्वयुद्ध से भी ज्यादा विध्वंसकारी था. द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रथम विश्वयुद्ध से भी एक कदम आगे बढ़कर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. जिसके भयावह नतीजे सामने आए थे. जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ नाम की वैश्विक संस्था बनाई गई.ताकि दोबारा इस तरह का विध्वंसकारी युद्ध ना हो.


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