Weather: हमारी धरती सारे अन्य सारे ग्रहों से अनोखी है. अब तक ज्ञात जितने भी ग्रह या उपग्रह हैं उनमें धरती एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन है. धरती अपने प्राकृतिक सौंदर्य और अलग-अलग मौसम के लिए भी बहुत खास है. कभी सर्दी ,कभी बारिश तो कभी गर्मी का मौसम धरती को अपने आप में अनोखा बनाता है.


लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर यहां मौसम कैसे बदलता है? इसका कारण क्या है? अपने इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में बकायदा तर्कों और वैज्ञानिक आधार के साथ बताएंगे-


ये है मौसम बदलने का कारण-


मौसम बदलने का सबसे बड़ा कारण धरती का अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुका होना है. इसके अलावा अलग-अलग समय पर धरती की सूर्य से अलग-अलग दूरी होती है. इसकी भी मौसम परिवर्तन में भूमिका होता है. लेकिन मुख्य कारण इसका झुकाव ही है.


सूरज का उत्तरायण और दक्षिरायण भी है कारण-


सूरज की किरणें साल भर विषुवत रेखा यानी शून्य डिग्री अक्षांश पर लंबवत पड़ती हैं. गर्मियों के समय में यह उत्तरी गोलार्ध पर 23.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश यानी कर्क रेखा की ओर खिसक जाती है(उत्तरायण होना) जिससे उत्तरी गोलार्ध में तापमान बढ़ता है और यहां गर्मी का मौसम होता है.


गौरतलब है कि 23.5 डिग्री अक्षांश यानी कर्क रेखा भारत के बीचो- बीच से गुजरती है. इसके अलावा सितंबर महीने से सूरज की किरणें दक्षिणी अक्षांश की ओर खिसकती हैं (दक्षिरायण होना) सर्दियों में यह मकर रेखा यानी 23.5 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर सीधी पड़ती हैं. इस दौरान वहां गर्मी का मौसम होता है जबकि उत्तरी गोलार्ध में सर्दी पड़ती है.


अन्य कारक भी होते हैं जिम्मेदार-


इसके अलावा मौसम के बदलाव के लिए और भी कारक जिम्मेदार होते हैं. हवाओं का भी इस पर प्रभाव होता है . हालांकि इसके लिए भी कहीं ना कहीं धरती का अपने अक्ष पर झुकाव और सूर्य का उत्तरायण और दक्षिरायण जिम्मेदार है.


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