Interesting Fact: प्रकृति ने हमें बहुत कुछ उपहार में दिया है. जिसमें पेड़-पौधे भी आते है. दुनिया में भाँति-भाँति के पेड़- पौधे  पाए जाते है. कहीं पहाड़ हैं तो कहीं रेगिस्तान,कहीं बर्फ है तो कहीं समुद्र,कहीं ऊंचे-ऊंचे पेड़ हैं तो कहीं पौधे.


ऐसा ही एक पौधा है जिसे 'बेशर्म पौधे' के नाम से जानते हैं. इसके नाम की तरह ही यह भी दिलचस्प है कि क्यों इसे बेशर्म पौधा कहा जाता है. अपने इस आर्टिकल में हम आपको इस पौधे को बेशर्म कहे जाने का कारण और इसकी विशेषताएं बताएंगे-


अलग-अलग नामों से है पहचान-


इस पौधे को कई नामों से जाना जाता है. कहीं 'बेशर्म' तो कहीं 'बेहया' तो कहीं इसे 'थेथर' नाम से जानते हैं. हालांकि सारे नामों का मतलब एक ही है.


कहां पाया जाता है-


यह पौधा काफी सुलभ होता है. बेशर्म पौधा नदियों,तालाबों, झीलों, के किनारे पाया जाता है. इसमें फूल भी खिलता है जिसका रंग गुलाबी होता है. जिसके कारण इसे गुलाबसी भी कहा जाता है . 


क्यों कहते है इसको बेशर्म-


बेशर्म पौधा किसी भी परिस्थिति में अपना अस्तित्व बनाए रखता है. गांवों में लोगों द्वारा ऐसा कहा जाता है कि इसे अगर काट दिया जाए या उस जगह से उखाड़ कर फेंक दिया जाए तो भी यह उस जगह दोबारा उग जाता है. यही नहीं जहां कहीं भी इसे फेंक दिया जाए यह वहां भी उग जाता है. हर जगह आसानी चाहे-अनचाहे इसके उग जाने की खासियत की वजह से इसे बेशर्म पौधा कहते हैं.


उपयोग-


यह कई कामों में उपयोग किया जाता है. गाँव देहात में लोग बाड़ बनाने और जलाने के लिए इसका प्रयोग करते है. वात रोग में बेशर्म की पत्तियों को उबालकर लपेटने से दर्द में आराम मिलता है. नीम की पत्तियों के साथ मिलाकर जैविक खाद के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है.