GenZ Generation: पिछले कई दशकों में पैदा होने वाले लोगों ने अलग-अलग समय में कई तरह की परेशानियों का सामना किया और तमाम बड़े आंदोलन देखे. इन सभी जेनरेशंस को अलग-अलग नाम भी दिए गए, आज की सबसे युवा जेनरेशन को जेन-Z के नाम से जाना जाता है. जिसमें 11 साल से लेकर 26 साल तक के युवा आते हैं. अब इस जेनरेशन को लेकर कई तरह की चिंताएं जताई जा रही हैं. इस जेनरेशन को सबसे ज्यादा डिप्रेशन में रहने वाली जेनरेशन बताया जा रहा है. 


जिनका जन्म साल 1997 से लेकर 2012 के बीच हुआ है, उनके लिए Gen-Z टर्म का इस्तेमाल किया जाता है. इससे पहले वाली जेनरेशन यानी 1981 से लेकर 1996 के बीच पैदा होने वाले लोगों के लिए मिलेनियल टर्म का इस्तेमाल होता है. 


मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा असर
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक करीब Gen-Z के करीब 70 फीसदी युवा डिप्रेशन का शिकार हैं. इसका कारण तेजी से बदलती चीजों को बताया गया है. साथ ही कहा गया है कि तेजी से गिरते मोरल सोशल स्टैंडर्ड के चलते भी कई युवा डिप्रेशन और एंग्जायटी का शिकार हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 45 फीसदी Gen-Z ही मानते हैं कि उनकी मेंटल हेल्थ ठीक है. इनके मुकाबले पिछली जेनरेशन की बात करें तो 56 फीसदी मिलेनियल की मेंटल हेल्थ काफी अच्छी है, वहीं इससे पहले वाली जेनरेशन जेन-X 51% और 70 फीसदी बूमर्स ने अपनी मेंटल हेल्थ को ठीक बताया. 


डिजिटल ओवरलोड बन रहा कारण
कई स्टडी में ये भी दावा किया गया है कि जेन-Z के लिए मेंटल हेल्थ के अलावा फाइनेंशियल सिक्योरिटी भी एक बड़ी चुनौती होने वाली है. स्टडी में कहा गया है कि इस जेनरेशन के लोग अपनी जिंदगी का मकसद खोजने में मुश्किलों का सामना करते हैं. इसका कारण डिजिटल ओवरलोडिंग को बताया गया है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिताने और इनफ्लूएंसर्स की शानदार जिंदगी को देखकर जेन-G को अपनी लाइफ बुरी लगने लगती है.


ग्लोबल सर्वे के मुताबिक 5 में से एक हाईस्कूल स्टूडेंट ने माना कि उन्हें सुसाइड करने के खयाल आते हैं, वहीं सर्वे में बताया गया कि 8.9 हाईस्कूल जेन-G ने बताया कि वो सुसाइड अटेंप्ट कर चुके हैं. इसके पीछे डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ को ही कारण बताया गया. 


ये भी पढ़ें - 17 लाख डिग्री फारेनहाइट के तापमान पर पहुंचा था NASA का स्पेसक्राफ्ट, ये था सूरज को पहली बार छूने वाला मिशन