गीता प्रेस एक ऐसा नाम है जो धार्मिक और सांस्कृतिक दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित गीता प्रेस पिछले कई दशकों में न केवल श्रीमद्भागवद गीता की लाखों प्रतियां प्रकाशित की हैं, बल्कि वह हिंदू धर्म के कई अन्य धार्मिक ग्रंथों और साहित्य का प्रचार करने का भी काम कर रहा है, यह प्रेस न केवल धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन में एक ब्रांड बन चुका है, बल्कि उसकी सस्ती और फैली हुई वितरण नीति ने इसे दुनियाभर में एक पहचान दिलाई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि गोरखपुर के इस ब्रैंड की क्या खास बातें हैं और अबतक इसने श्रीमद्भागवद गीता की कितनी प्रतियां छापी हैं.


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इसलिए शुरू की गई थी गीता प्रेस


गीता प्रेस की स्थापना 1923 में गोरखपुर में हुई थी और श्रीराम शर्मा आचार्य ने इसे शुरू किया था. उनकी मुख्य मंशा थी कि भारतीय धर्म और संस्कृति के खास ग्रंथों को सामान्य लोगों तक पहुचाया जा सके. गीता प्रेस ने श्रीमद्भागवद गीता को सबसे पहले सस्ती दरों पर प्रकाशित करना शुरू किया था, ताकि हर कोई इसका लाभ ले सके. इसके बाद गीता प्रेस ने हिन्दू धर्म के कई अन्य प्रमुख ग्रंथों का भी प्रकाशन किया, जिनमें रामायण, महाभारत, भगवद गीता, और अन्य उपनिषद और पुराण शामिल हैं.


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श्रीमद्भागवद गीता का की कितनी प्रतियां छाप चुकी है गीता प्रेस?


गीता प्रेस श्रीमद्भागवद गीता की लाखों प्रतियां प्रकाशित कर चुकी है. इसका सबसे बड़ा योगदान यह है कि इसने गीता को आम जनता तक पहुचाने के लिए इसे बहुत सस्ती कीमतों पर प्रकाशित किया. अब तक गीता प्रेस ने अनुमानित तौर पर 40 लाख से भी ज्यादा श्रीमद्भागवद गीता की प्रतियां छापी हैं, जो हर साल बडे़ पैमाने पर वितरित की जाती हैं. गीता प्रेस की गीता के संस्करण न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्द हैं. इस प्रेस द्वारा धार्मिक ग्रंथों को अलग-अलग भाषाओं में छापा जाता है.


बता दें गीता प्रेस ने न केवल गीता का प्रकाशन किया है, बल्कि हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण ग्रंथों जैसे कि रामायण, उपनिषद, महाभारत और भगवद गीता पर आधारित छोटी-छोटी पुस्तकों का भी प्रकाशन किया है. इसका उद्देश्य था कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक साहित्य को लोगों तक पहुंचाया जा सके और इससे उनका आचार-विचार प्रभावित हो. यह प्रेस अब तक लाखों पुस्तकों का वितरण कर चुका है, जो हजारों घरों में हिंदू धर्म की शिक्षा को देती है. गीता प्रेस की सस्ती दरों पर किताबों का वितरण भी खास है, क्योंकि इसने आम आदमी को धार्मिक ग्रंथों तक पहुंचाने का काम किया है.


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