Right And left Hander: दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं. सबकी अलग-अलग आदतें और अलग-अलग समस्याएं होती हैं. सबके काम करने के तरीके भी अलग होते हैं. कोई जल्दी -जल्दी काम करता है तो कोई उबासी ले लेकर उंघियाते हुए किसी तरह काम करता है.
उसी तरह से लोगों के हंसने और रोने का तरीका भी अलग होता है. कोई ऐसे ठहाका मारकर हंसता है कि आसपास लोग भी यह सोचकर ठहर जाएं आखिर माजरा क्या है,तो कोई छोटी बात पर भी सुबक-सुबक कर रोने लगता है. कुछ तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें अच्छे खासे जोक पर भी हंसी नहीं आती और कुछ को जल्दी रोना ही नहीं आता.
कुल मिलाकर भांति-भांति के लोग होते हैं. ऐसा ही एक प्रकार है दाएं और बाएं हाथ से काम करने वाले लोगों का. अपने इस आर्टिकल में हम दाएं हाथ और बाएं हाथ से काम करने वाले लोगों के बीच के फर्क और इसके पीछे के विज्ञान के बारे में बात करेंगे-
कैसे होता है कोई राइटी और लेफ्टी-
सबसे पहले तो हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि दाएं या बाएं हाथ से ज्यादा काम करना कोई कमी या समस्या नहीं है. जहां तक बात है कि कैसे कोई राइटी या लेफ्टी होता है तो यह जेनेटिक होता है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि पिता या माता राइटी या लेफ्टी हैं तो बच्चा भी वैसा ही होगा. लेकिन इस बात की संभावना होती है कि बच्चा लेफ्टी या राइटी हो सकता है.
कम होते हैं लेफ्टी-
कहा जाता है कि राइट हैंड से काम करने वालों की तुलना में लेफ्टी बहुत कम हैं. हम भी सामान्यतौर पर देखते हैं तो राइटी ज्यादा मिलते हैं और लेफ्टियों की संख्या कम होती है.
बेहतर होते हैं लेफ्टी-
कहा जाता है कि लेफ्टी ज्यादा बेहतर होते हैं. उनमें क्रिएटिविटी भी अधिक होती है. हालांकि अभी इसका पूरी तरह से कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. एक शोध के अनुसार लेफ्टी व्यक्ति का अपने दिमाग के साथ संयोजन बेहतर होता है. जिसका फायदा उसे क्रिएटिव कामों और अन्य तरह की चीजों में मिलता है.
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