क्लाइमेट चेंज के बारे में कितना जानते हैं भारत के लोग, सर्वे ने खोल दी पोल
नेशनल सर्वे में जब इसे लेकर देश के लोगों से सवाल किया गया तो पता चला कि देश के 41 फीसदी लोग क्लाइमेट चेंज की समस्या के बारे में जानते हैं. राज्यों की बात करें तो गुजरात इस मामले में सबसे आगे है.
क्लाइमेट चेंज भारत समेत पूरी दुनिया के लिए गंभीर समस्या है. कई ऐसी समस्याएं जिनसे दुनिया हर रोज संघर्ष कर रही है, कहीं ना कहीं क्लाइमेट चेंज की वजह से ही उपजी हैं. ऐसे में ये सवाल बड़ा बन जाता है कि भारत में कितने लोग इस गंभीर समस्या के बारे में जानते हैं.
इसी पर द येल क्लाइमेट ने सी-वोटर के साथ मिलकर एक सर्वे किया है. इस सर्वे में बताया गया है कि भारत के किस हिस्से के लोग क्लाइमेट चेंज के बारे में कितना जानते हैं. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
कहां-कहां हुआ सर्वे
येल क्लाइमेट और सी-वोटर ने ये सर्वे देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया है. 604 जिलों में हुए इस सर्वे में लोगों से पूछा गया कि वह क्लाइमेट चेंज के बारे में कितना जानते हैं. इसके अलावा लोगों से ये भी पूछा गया कि लोकल लेवल पर वह इससे जुड़ी परेशानियों के बारे में कितना जानते हैं. इसके साथ ही येल क्लाइमेट और सी-वोटर ने येल क्लाइमेट ओपिनियन मैप्स फॉर इंडिया नाम का एक ऑनलाइन टूल लॉन्च किया है जो भारत के हर जिले के लिए क्लाइमेट चेंज के बारे में जरूरी जानकारियां उपलब्ध कराएगी.
क्लाइमेट चेंज के बारे में लोग कितना जानते हैं?
नेशनल सर्वे में जब इसे लेकर देश के लोगों से सवाल किया गया तो पता चला कि देश के 41 फीसदी लोग क्लाइमेट चेंज की समस्या के बारे में जानते हैं. राज्यों की बात करें तो गुजरात इस मामले में सबसे आगे है. यहां के 52 फीसदी लोगों को क्लाइमेट चेंज से होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी है. जबकि, महाराष्ट्र में 33 फीसदी ऐसे लोग हैं जो क्लाइमेट चेंज से होने वाली समस्याओं के बारे जानते हैं. वहीं ग्लोबल वार्मिंग के बारे में समझाने पर पता चलता है कि कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों की तुलना में केरल, गोवा और पंजाब जैसे राज्यों में ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले खतरों को अधिक भारतीय महसूस करते हैं.
एक्सपर्ट ने क्या कहा
क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी में सीनियर लेक्चरर डॉ. जगदीश ठाकर ने इस मुद्दे पर कहा कि भारत जैसे विविधताओं वाले देश में केंद्र और राज्य सरकारें लोगों से सीधे जुड़ कर क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर मुखरता से बात कर सकती हैं. येल क्लाइमेट की रिसर्च सरकारों और लोगों को क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर बेहतर तरीके से जागरुक कर सकती हैं.
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