आपने देखा होगा कि कई बार किसी खुदाई में या फिर पुरानी इमारत में से सोना निकल जाता है. कई बार किसान को जमीन में गड़ा हुआ सोना मिल जाता है. इसे देखते हुए कई लोग अपनी जमीन को खोदना शुरू कर देते हैं या फिर कई लोग अपनी पुरानी संपत्ति को तोड़ना शुरू कर देते हैं. इन लोगों को आशा रहती है कि क्या पता उन्हें उनके घर के नीचे सोना मिल जाएगा. लेकिन, ऐसे बहुत कम चांस होते हैं, जब किसी को जमीन खुदाई करने पर सोना मिल जाए. हालांकि, अब इनकी खोज के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाने लगा है. 


ऐसे में सवाल है कि आखिर वो कौन-कौन सी मशीनें होती हैं, जिनसे जमीन में गड़े हुए सोना का पता किया जाता है और ये मशीनें किस आधार पर कोई खास सामान छुपे होने की जानकारी देती है. तो जानते हैं कि आखिर जमीन में छिपे सोने का पता करने के लिए किन मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है.


किससे सोने का पता लगाया जाता है?


आजकल सोने का पता लगाने के लिए कई तरह की मशीनें उपलब्ध हैं. ऐसा नहीं है कि इन मशीन से क्लियर पता चल जाता है कि कहां सोना दबा है. इनके जरिए सोने-चांदी जैसे मेटल का पता लगाया जा सकता है. इनसे जमीन या पानी के अंदर निश्चित दूर तक की रेंज में यह पता लग जाता है कि वहां कुछ दबा तो नहीं है. इन मशीनों को गोल्ड डिटेक्टर मशीन कहते हैं और ये भी मेटल डिटेक्टर होते हैं. बाजार में अलग अलग रेंज और फ्रिक्वेंसी वाले डिटेक्टर मिलते हैं. 


कितने नीचे का पता कर सकते हैं?


कई नॉर्मल डिटेक्टर तो जमीन के कुछ इंच का ही पता कर पाते हैं. इसके अलावा अलग अलग रेंज के डिटेक्टर होते हैं, जिनमें 8 -10 मीटर की रेंज वाले डिटेक्टर भी होते हैं. जो जमीन के ऊपर से नीचे 8-10 मीटर का पता कर लेते हैं. 


कैसे करते हैं काम? 


आप सोच रहे होंगे कि आखिर किस तरह से डिटेक्टर काम करते हैं और बिना किसी तार या जमीन में छेद के कैसे पता कर लेते हैं. गोल्ड डिटेक्टर का काम करने का तरीका ये है कि यह इलेक्ट्रिक मैगनेटिक एरिया को जमीन में पहुंचाता है. इसके बाद यह उस क्षेत्र से आने वाले सिग्नल को कैच करता है और फिर उसे रीड किया जाता है कि जमीन में जो कुछ भी दबा है, उससे वेव कैसे रिएक्ट कर रही हैं और उसके आधार पर पता किया जाता है कि जमीन में सोना है या नहीं. 


कितने रुपये के आते हैं डिटेक्टर?


वैसे तो डिटेक्टर की रेट हर रेंज और क्वालिटी पर निर्भर होती है. लेकिन अगर सामान्य डिटेक्टर लेते हैं, जिससे 3 तीन फीट नीचे तक का देखा जाए, वो करीब 70 हजार से 1 लाख रुपये के बीच आता है. इसके अलावा रेट कंपनी, रेंज, क्वालिटी आदि के हिसाब से बदल सकते हैं. 


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