इंटरनेट पर ऐसे कई वीडियो मिल जाएंगे, जिनमें लोग एक मशीन के जरिए जमीन के नीचे सोना ढूंढ रहे होते हैं. खासतौर से उन इलाकों में जहां नदियां बहती हैं. दरअसल, जमीन के नीचे से निकला सोना पानी के रास्ते बाहर आ जाता है और फिर कई बार नदियों के किनारे और उनकी तलहटी में मिट्टी के नीचे दब जाता है.
हालांकि, सोने के ये कण इतने छोटे होते हैं कि खुली आंखों से इनको देख पाना लगभग नामुमकिन होता है. चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर लोग जिन मशीनों से सोना तलाशते हैं, उनका नाम क्या है और उनकी कीमत कितनी होती है.
सोना तलाशने वाली मशीन
सोना तलाशने वाली मशीनों को गोल्ड डिटेक्टर मशीन कहते हैं. ये मशीनें तीन तरह से काम करती हैं. पहली तकनीक है जीपीआर यानी ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार. वहीं दूसरी तकनीक है वीएलएफ यानी वेरी लो फ्रीक्वेंसी तकनीक. जीपीआर का इस्तेमाल बड़ी मशीनों में होता है. जबकि, वीएलएफ तकनीक छोटी मशीनों के लिए इस्तेमाल होती है.
हालांकि, जिन मशीनों का इस्तेमाल आप हाथ से कहीं भी कर सकते हैं, वो तीसरे तरह की मशीन होती है. इस गोल्ड डिटेक्टर मशीन कहते हैं. ये मशीनें इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तकनीक पर काम करती हैं. इनकी अपनी एक तय रेंज होती है. यानी अगर किसी गोल्ड डिटेक्टर मशीन की रेंज 20 फीट है तो ये मशीन जमीन में 20 फीट गहराई में दबे सोने का पता लगा सकेगी.
कितने की आती हैं ये मशीन
छोटी मशीनें जिन्हें आप भी खरीद सकते हैं, उनकी कीमत एक लाख से 3 लाख रुपये तक है. इन मशीनों की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि उनकी क्वालिटी क्या है और ये कितनी गहराई तक सोने का पता लगा सकती हैं. जबकि, बड़ी मशीने जिनसे सोने की खदानों का पता लगाया जाता है, उनकी कीमत करोड़ों रुपये होती है. ये मशीन हर इंसान खरीद भी नहीं सकता. इसके लिए कई तरह के परमिशन की जरूरत होती है. जबकि, छोटी गोल्ड डिटेक्टर मशीनों को आप आसानी से खरीद सकते हैं. आप चाहें तो इन मशीनों को ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं.
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