Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary: आज महान समाज सुधारक, शिक्षाविद और नरम दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले की 157वी बर्थ एनिवर्सरी है. गोपाल कृष्ण गोखले का भारत की आजादी में अहम योगदान रहा है, उन्होंने महात्मा गांधी को इंग्लेंड से भारत लाने का काम तो किया ही साथ ही लोगों में देशभक्ति की अलख जगाने का श्रेय भी उन्हें जाता है. जिन्होंने शिक्षा के महत्व को न सिर्फ समझा बल्कि उस समय जब देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी, जगह-जगह लाइब्रेरी बनाई और लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया.
रत्नागिरी में हुआ जन्म
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म रत्नागिरी में हुआ था. इनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और मां वलूबाई गोखले था. उनका जन्म तो एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन वो मेधावी छात्र थे. उनके मन में हमेशा से राष्ट्रभक्ति की भावना थी, जिसने आगे चलकर देश के लिए उन्हें बहुत कुछ करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने साल 1881 में मैट्रिक की परिक्षा उत्तीर्ण की और 1882 में राजाराम कॉलेज में दाखिला लिया. हालांकि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए एलफिस्टंन कॉलेज जाना पड़ा. हालांकि पढ़ाई के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि उन्हें हर महीने छात्रवृत्ति मिला करती थी. उन्होंने अपने जीवन में कई नारे दिए. उनका विचार हमेशा हर व्यक्ति को शिक्षा के लिए प्ररित करना था-
"शिक्षा का अधिकार सभी नागरिकों को प्राप्त होना चाहिए, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो."
कांग्रेज अध्यक्ष बने गोखले
कानून की पढ़ाई करने के बाद गोखले राष्ट्रभावना के चलते नरम दल के नेता के तौर पर काम करते रहे. वो साल 1905 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 1907 आते-आते पार्टी दो टुकड़ों में बंट गई. वैचारिक मतभेद होने के बावजूद उन्होंने गरम दल के नेता लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अभियान चलाया था.
"महिलाओं को शिक्षित करना समाज के विकास के लिए आवश्यक है"
गोखले के क्रांतिकारी परिवर्तन
- गोखले ने अपने जीवनकाल में कई क्रांतिकारी परिवर्तन किए. उन्होंने साल 1905 में भारतीय शिक्षा के विस्तार के लिए सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की. उनका मानना था कि भारतीयों को वो शिक्षा प्राप्त हो जो उनके मन में नागरिक कर्तव्य और देशभक्ति की अलख जगाए.
- उन्होंने मोबाइल पुस्तकालयों और स्कूलों की स्थापना की थी. वहीं रात के समय वो औद्योगिक श्रमिकों को पढ़ाने का काम भी करते थे.
- गोखले ने साल 1912 में दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी से मुलाकात की और उन्हीं के अनुरोध पर महात्मा गांधी भारत आए थे.
- महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में गोखले को अपना राजनीतिक गुरु, सलाहकार और मार्गदर्शक बताया है.
उनके विचार कुछ ऐसे थे-
- स्वतंत्रता केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी है.
- सफलता जल्दी मिलने वाली चीज नहीं है. उसे पाने के लिए निरंतर परिश्रम और लगन की आवश्यकता होती है.
- दूसरों की निंदा करने से पहले हमें यह आत्म-मंथन करना चाहिए कि क्या हम खुद को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
- हमें अपने मतभेदों के बावजूद एकजुट होकर राष्ट्र निर्माण करना चाहिए.
- गरीबी और अज्ञानता सबसे बड़े शत्रु हैं. इनका नाश करना हमारा कर्तव्य है.
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