Gravity Effect: गुरुत्वाकर्षण वह है जिसके कारण चीजें पृथ्वी पर नीचे गिरती हैं, ऊर्जा या द्रव्यमान वाली चीजें एक दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं या फिर ग्रह सितारों की परिक्रमा करते हैं. ऐसा केवल पृथ्वी पर ही नहीं होता है. हर ग्रह और चंद्रमाओं तक में यह देखने को मिलता है, भले ही वहां इसकी मात्रा कम या ज्यादा हो. चीजों को धरती पर नीचे की ओर गिरते देख कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि चीजें गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे ही क्यों गिरती हैं? ये ऊपर को क्यों नहीं गिरती हैं? आइए आज वैज्ञानिक नजरिए इस सवाल का संतोषजनक जवाब जानते हैं.


क्या है गुरुत्व और आकर्षण?


यह तो आपको पता ही होगा कि गुरुत्व  के कारण ही द्रव्यमान या ऊर्जा वाली वस्तुएं एक दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं. इसी के कारण ही पेड़ों से फल टूटकर जमीन पर नीचे गिरते हैं और ग्रह अपने तारे के चक्कर लगाते हैं. आपने देखा होगा की चुंबक समान तरह की धातुओं को आकर्षित करती है, लेकिन अन्य प्रकार की चुंबकों को दूर धकेलने का काम भी करती है. जबकि, गुरुत्व में केवल आकर्षण का ही प्रभाव होता है.


गुरुत्व का प्रभाव


इसका हल खोजने के लिए 1915 में वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपना सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत प्रकाशित किया था. द्रव्यमान वाली वस्तुएं जैसे कि पृथ्वी, वास्तव में ब्रह्माण्ड के ताने बाने को मोड़ और घुमाव देने का काम करती हैं. इस ताने बाने को स्पेसटाइम या दिक्काल कहते हैं. इसी घुमाव और मोड़ को वक्रता कहते हैं. इसके प्रभाव को ही हम गुरुत्व के रूप में महसूस करते हैं.


क्या है स्पेस टाइम


स्पेसटाइम या दिक्काल चार आयामों से मिलकर बना है. इसमें अंतरिक्ष के लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई के तीनों आयाम के साथ समय के रूप में चौथा आयाम भी शामिल होता है. गणित की मदद से आइंस्टीन ने पाया कि अंतरिक्ष के लिए फिजिक्स के नियम वहां लागू होते हैं जहां अंतरिक्ष और समय एक साथ मिल जाते हैं. आसान भाषा में इसका मतलब यह है कि अंतरिक्ष और समय के जुड़ने से यदि आप बहुत तेजी से कहीं गतिमान होते हैं तो समय धीमा हो जाता है. यही कारण है कि अंतरिक्ष में तेजी से जाने वाले यात्री पृथ्वी की तुलना में धीमे बूढ़े होते हैं.


पदार्थ बनाता है गुरुत्व का गड्ढा


स्पेसटाइम की वक्रता के कारण ही ब्रह्माण्ड में पिंड गुरुत्व के कारण एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं. सापेक्षता के सिद्धांत में बताया गया है कि ब्रह्माण्ड की सभी चीजें स्पेसटाइम मे घूम या मुड़ सकती हैं. फिजिक्स के अनुसार इसका मतलब यह है कि सभी चीजों में द्रव्यमान और ऊर्जा होते हैं.


ट्रैम्पोलीन की तरह है स्पेसटाइम


हमारा दिमाग केवल तीन आयाम के बारे में सोच पाता है. इसीलिए स्पेसटाइम वाले चौथे आयाम को एक विचार में ही सोच पाना थोड़ा कठिन होता है. इसको आसानी से समझने के लिए वैज्ञानिक ट्रैम्पोलीन या उछाल पट का उदाहरण देते हैं. ट्रैम्पोलीन इस चीज का नाम है जिस पर बच्चे उछलते हुए खेलते हैं. अगर इस ट्रैम्पोलीन पर कुछ नहीं होता है तो वह सपाट रहता है , लेकिन जैसे ही उस पर कोई वजनदार वस्तु आती है या यूं कहें कि बच्चा खड़ा होता है तो उसके पैरों के आसपास एक खिंचाव के साथ एक तरह का गड्ढा बन जाता है. इस गड्ढे के केंद्र में बच्चा होता है. अगर अब इसमें एक गेंद डाली जाए तो वह बच्चे के पैरों की ओर जाएगी.


लेकिन अगर कोई ट्रैम्पलीन पर हो और वह नीचे की जगह ऊपर की ओर धकेला जाए और गेंद केंद्र से दूर की ओर जाए तो ऐसे में गुरुत्व का पहाड़ बन जाएगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस स्थिति गुरुत्व में आकर्षण की जगह विकर्षण पैदा हो जाएगा. लेकिन, वैज्ञानिकों ने  अभी तक ऐसा कुछ नहीं देखा जो पृथ्वी या उसके बाहर इस तरह का बर्ताव करता हो.


यह भी पढ़ें: धरती की सीमा का तो पता है...लेकिन किसी देश की समंदर की सीमा कैसे तय होती है?