Petrol को GST में लाने के लिए केंद्र सरकार तैयार! इसके दायरे में आ गया तो कितना सस्ता हो जाएगा?
GST On Petrol : यहां हम आपको बताते हैं कि आप जिस एक लीटर पेट्रोल के लिए रकम चुकाते हैं, उसमें से टैक्स के रूप में आपकी जेब पर कितना बोझ पड़ता है. आइए जानते हैं GST में आने के बाद इसपर क्या असर पड़ेगा.
GST On Diesel and Petrol : पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है, लेकिन इस पर राज्यों की सहमति जरूरी है. वैसे केंद्रीय मंत्री के इस बयान से काफी लोग खुश हैं, क्योंकि अगर पेट्रोल जीएसटी के दायरे में आ जाता है तो पेट्रोल काफी सस्ता हो सकता है. ऐसे में सवाल है कि अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल कर लिया जाता है तो पेट्रोल-डीजल कितना सस्ता हो जाएगा? चलिए आपको बताते हैं कि अगर राज्य भी इस दिशा में पहल करते हैं तो क्या फायदा होगा और अभी पेट्रोल पर क्या व्यवस्था है...
सबसे जीएसटी को लेकर नीति निर्धारकों के बयान पढ़ें
GST को लेकर हुई पिछली बैठकों में पेट्रोल डीजल को जीएसटी में लाने पर भाजपा सांसद सुशील मोदी कह चुके हैं कि इससे राज्यों को सामूहिक रूप से 2 लाख करोड़ का सालाना नुकसान होगा. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो इससे केंद्र सरकार को खुशी होगी, लेकिन राज्य सरकारें ऐसा नहीं करना चाहती हैं. बढ़ती मंहगाई में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर त्राहि-त्राहि कर रही आम जनता से लेकर कई अर्थशास्त्री भी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करके इसके दामों में गिरावट की मांग कर रहे हैं.
कितना टैक्स लगता है?
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग 50% टैक्स होता है. कई राज्यों में तो यह आंकड़ा 50 फीसदी से भी अधिक है. ऐसे में अगर एक आम आदमी समझना चाहे कि उसने एक लीटर पेट्रोल पर कितना टैक्स दिया तो इस उदाहरण से समझ सकते हैं. अगर आप एक लीटर पेट्रोल के लिए 105.41 रुपये देते हैं तो इसमें से 49.09 रुपये का टैक्स सरकारी खजाने में जाता है. 27.90 रुपये इसपर एक्साइज ड्यूटी लगती है और 17.13 रुपये का वैट (डीलर कमीशन पर वैट शामिल) है. इसमें डीलर कमीशन 3.86 रुपये प्रति लीटर होता है.
वहीं, बात अगर डीजल की करें तो मान लीजिए दिल्ली में डीजल की कीमत 96.67 रुपये प्रति लीटर है. इसमें से 38 रुपये से भी ज्यादा सरकार के खजाने में जाता है. डीलर एक्सक्लूडिंग एक्साइज ड्यूटी और वैट मिलाकर एक लीटर डीजल में से 58.16 रुपये सरकारों के हिस्से में जाते हैं. ये लगभग एक लीटर डीजल के दाम का 60 फीसदी हिस्सा है. बात अगर आंकड़ों में करें तो सरकार हर साल करीब 4 लाख करोड़ पेट्रोल डीजल से कमाती है.
कितना सस्ता होगा डीजल और पेट्रोल?
जबकि, पेट्रोल और डीजल की कीमतें में लगभग 46 प्रतिशत तक टैक्स शामिल होता है. वहीं, जब इसे जीएसटी में शामिल कर लिया जाएगा तो जीएसटी के सबसे अधिक स्लैब होने पर भी इस पर महज 28% ही टैक्स रह जायेगा. इस तरह पेट्रोल और डीजल की कीमत काफी कम हो जाएगी. फिर बेसिक प्राइज पर सिर्फ इतना ही टैक्स देना होगा. इसके बाद राज्यों की ओर से लिया जाने वाले वैट खत्न हो जाएगा. फिर व्यवस्था गैस सिलेंडर की तरह हो जाएगी. जो आम लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत होगी. रिसर्च टीम के एनालिसिस के मुताबिक, अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल किया जाता है तो देश भर में इसकी कीमत में कमी की आ सकती है. ऐसे में अनुमान लगाया जाता है कि पेट्रोल लगभग 75 रुपए प्रति लीटर और डीजल करीब 68 रुपए प्रति लीटर तक हो सकता है. हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आखिर सरकार पेट्रोल-डीजल को किस जीएसटी स्लैब में शामिल करती है. इसके बाद ही जीएसटी लगने के बाद की सही रेट के बारे में पता लगाया जा सकेगा.
बिना टैक्स के कैसे पूरी होंगी योजनाएं!
एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल लगभग 10-11 हज़ार करोड़ लीटर डीज़ल बिकता है और 3-4 हज़ार करोड़ लीटर का पेट्रोल को मिला कर लगभग 14 हज़ार करोड़ लीटर का डीज़ल-पेट्रोल बिकता है. पेट्रोल-डीज़ल के जीएसटी के दायरे में आने से केंद्र और राज्य को 4.10 लाख करोड़ का नुक़सान होगा. ऐसे में इस नुक़सान की भरपाई करना एक चुनौती होगी.
नुकसान की भरपाई के दो विकल्प
1. इस नुकसान की भरपाई करने के लिए 28 फ़ीसदी जीएसटी के अलावा सरचार्ज लगा दिया जाए. केंद्र सरकार लग्ज़री कारों पर सरचार्ज भी वसूलती है. ऐसे में कीमतें अनुमान से ज्यादा हो सकती हैं.
2. केंद्र सरकार जीएसटी के बाद भी पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाए और उससे होने वाली आमदनी को केंद्र और राज्य सरकार बाँट ले. इसके लिए दोनों सरकारों को इस फ़ॉर्मूले पर सहमत होना होगा.
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