जब भी वोट देने जाएं, साथ में 2 रुपये जरूर लेकर जाएं! जानिए- ये क्या काम आएंगे?
Gujarat Election: गुजरात में विधानसभा चुनाव और दिल्ली में एमसीडी चुनाव के लिए वोटिंग है और अगर आप इन दोनों चुनाव में से किसी में भी वोट देने वाले हैं तो वोटिंग के नियम जरूर जान लें.
गुजरात और दिल्ली में आम चुनाव होने हैं. गुजरात में जनता विधायकों और मुख्यमंत्री के लिए मतदान करेगी जबकि दिल्ली में एमसीडी के चुनाव के लिए वोटिंग हैं. अगर आप भी दिल्ली और गुजरात के वोटर हैं तो आप भी मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, लेकिन चुनाव से पहले वोटर्स को दो रुपये वाले नियम की जानकारी होना चाहिए. आप भी हेडलाइन पढ़कर सोच रहे होंगे कि आखिर वोटिंग के वक्त 2 रुपये किस तरह काम आ सकते हैं और इन रुपये से क्या होगा. तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर ये रुपये किस तरह आपके काम आ सकते हैं और चुनाव आयोग का 2 रुपये वाला नियम है क्या? इसके बाद आप समझ पाएंगे कि जब आप वो वोट डालने जाते हैं तो 2 रुपये वाला नियम किस तरह बहुत काम का है.
क्या है दो रुपये वाला नियम?
यह नियम वीवीपैट व्यवस्था को चैलेंज करने को लेकर है. दरअसल, अब चुनाव में ईवीएम के साथ एक वीवीपैट मशीन भी रखी होती है. यह मशीन आपके वोट को पुष्टि करने का काम करती है. जैसे ही आप वोटिंग मशीन में किसी को वोट देते हैं तो वोट देने के कुछ ही सेकेंड बाद वीवीपैट मशीन में एक पर्ची निकलती है और आपने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, उसका चुनाव चिह्न दिखाई देता है. इससे आप ये पुष्टि कर सकते हैं कि आपने जिसे वोट दिया है, वोटिंग मशीन में भी उनके नाम पर वोट काउंट हुआ है. ऐसे में इस वीवीपैट को लेकर 2 रुपये वाला नियम काफी कारगर है.
2 रुपये वाले नियम के जरिए आप पोलिंग एजेंट को दो रुपये देकर अपने वोट को वेरिफाई भी कर सकते हैं. अगर आपको लगता है कि आपने जिसे वोट दिया है, उसके नाम की पर्ची वीवीपैट में नहीं निकली है तो आप शिकायत कर सकते हैं. इसके बाद पोलिंग एजेंट मतदाता को चेक करवाता है और संतुष्ट करता है कि आपने जिसे वोट दिया है, उसके नाम पर ही वोट पड़ा है.
किन स्थितियों में काम आएंगे दो रुपये?
जैसे मान लीजिए आपने किसी कैंडिडेट ए को वोट दिया है और वीवीपैट पर्ची में आपको किसी दूसरे उम्मीदवार के नाम की पर्ची दिखती है तो आप इस नियम का सहारा ले सकते हैं. इसके लिए आपको सबसे पहले पोलिंग ऑफिसर से इसकी शिकायत करनी होती है कि उनका वोट सही काउंट नहीं हुआ है. इसके साथ ही मतदाता 2 रुपये फीस देकर ‘Form of Declaration’ के जरिए इसे चुनौती दे सकता है और Rule 49MA के तहत इस पर कार्रवाई की जाती है. फिर एक फर्जी यानी मोक पोल किया जाता है, उसके जरिए दिखाया जाता है कि वोटिंग मशीन और वीवीपैट सही तरीके से काम कर रहे हैं.
दावा गलत निकला तो क्या होगा?
बता दें कि इस नियम को दुरुपयोग ना हो, इसे लेकर भी यह व्यवस्था है कि अगर किसी का दावा खारिज होता है तो सरकार इस पर भी कार्रवाई कर सकती है. अगर दावा गलत निकलता है तो मतदाता पर मामला भी दर्ज किया जा सकता है. ऐसे में अगर आपको लगता है कि सही में वीवीपैट से गलत पर्ची निकली है तो आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी तरह पोलिंग एजेंट भी मतदाता की पहचान पर आपत्ति होने पर 2 रुपये तक वोटर को पहचान साबित करने के लिए कह सकता है.
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