Gujarat Passport Office: भारत के अलग-अलग राज्यों में लोगों को संबोधित करने का अपना एक विशेष तौर-तरीका होता है. जैसे गुजरात में सम्मान देने के लिए सामने वाले के नाम के आगे भाई या बेन जोड़ा जाता है. मगर सम्मान देने वाले इस तरीके ने लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. इसकी वजह से हजारों लोग सरकारी दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं. पासपोर्ट और वीजा पाने के लिए लोग अपने नाम से भाई और बहन को हटाने के लिए इधर से उधर जा रहे हैं. आइये जानते है ऐसा क्यों हो रहा है. 


क्या है मामला?


टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद में रहने वाली दीपाबेन शाह नाम की एक महिला को अपने नाम के चलते विदेश यात्रा के लिए आवेदन करने में परेशानी हो रही है. वह पेशे से हेल्थ प्रोफेशनल हैं. उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने उनके नाम में बेन जोड़ा था. दरअसल, गुजरात में पुरुषों के नाम के साथ ‘भाई’ और  महिलाओं के नाम के साथ ‘बेन' जोड़े जाने का चलन है. दिक्कत यह हुई कि दीपाबेन के कुछ दस्तावेजों में उनका नाम 'दीपाबेन' लिखा है जबकि अन्य कुछ दस्तावेज़ों में 'दीपा' नाम का इस्तेमाल हुआ है. पासपोर्ट और वीजा के लिए जरूरी दस्तावेजों में नाम की इस असमानता की वजह से उन्हें विदेश जाने के लिए वीजा नहीं मिला. 


गुजरात में है ‘भाई’ और ‘बेन' की परंपरा


गुजरात में नाम के आगे ‘भाई’ और ‘बेन' शब्द जोड़ने का चलन काफी पहले से चला आ रहा है. भारत के पहले गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल से लेकर उद्योगपति धीरूभाई अंबानी से लेकर उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तक, इन सब के नाम में ‘भाई’ और ‘बेन' शब्द जुड़ा हुआ है. इसका उद्देश्य सामने वाले को सम्मान देना होता है. नाम में जुड़ी इस शिकायत को बड़ी संख्या में गुजरात के पासपोर्ट दफ्तर में रिपोर्ट किया जा रहा है. पासपोर्ट और वीजा के लिए बर्थ सर्टिफिकेट, स्कूल सर्टिफिकेट, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होती है. इन दस्तावेजों में लिखी हुई जानकारी (जैसे- नाम) अलग-अलग होने से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती है.


गुजरात के रीजनल पासपोर्ट अधिकारी ने बताया कि उन्हें प्रतिदिन लगभग 4,000 आवेदन मिलते हैं, जिनमें से एक-चौथाई यानी लगभग 1,000 से ज्यादा आवेदन नाम बदलने, जन्म स्थान में बदलाव या जन्म तिथि में बदलाव से संबंधित होते हैं. इनमें से करीब 800 आवेदन भाई, बेन और कुमार को हटाने या जोड़ने से जुड़े होते हैं.