Haburbhata Stone: बचपन से अब तक हम सभी न जाने कितनी किवदंतियां सुनते आ रहे हैं. इसी तरह आपने सुना होगा कि पारस पत्थर के संपर्क में आने पर लोहा भी सोना बन जाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पत्थर के बारे में बताएंगे जिससे होने वाले चमत्कार को आप खुद भी करके देख सकते हैं. दूध से दही जमाने के लिए जामन के रूप में आमतौर पर छाछ, दही, नींबू आदि का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इस चमत्कारी पत्थर का कमाल है कि इसमें रखे दूध को यह खुद ही दही बना देता है. राजस्थान के जैसलमेर से 50 किमी दूर स्थित हाबूरगांव में यह पत्थर पाया जाता है. राजस्थान के इस गांव लोग दूध से दही जमाने के लिए सैकड़ो वर्षों से इस चमत्कारी पत्थर का ही इस्तेमाल करते आ रहे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर इस पत्थर में ऐसा क्या है जो यह दूध को दही बना देता है.


हबूरिया भाटा पत्थर
हाबूर गांव जिसका वर्तमान नाम पूनमनगर है, यहां का यह पत्थर अपने अंदर कई खूबियां समेटे हुए है. स्थानीय भाषा में इस पत्थर को 'हाबूरिया भाटा' भी कहा जाता है. यह ऐसा चमत्कारी पत्थर है, जिसके संपर्क में आते ही दूध जम जाता है. अपनी इस विशेषता के कारण यह पत्थर देश-विदेश में काफी लोकप्रिय है. यहां आने वाले सैलानी हाबूर पत्थर से बने बर्तन भी लेकर जाते हैं. इससे बने बर्तनों की डिमांड हमेशा बनी रहती है.


पत्थर में होते हैं ये केमिकल्स
पत्थर को लेकर हुई रिसर्च में यह बात सामने निकल कर आई है कि इस पत्थर में दही जमाने वाले कैमिकल मौजूद हैं. इस पत्थर में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन मौजूद हैं. यही कैमिकल दूध को दही बनाने में सहायक होते हैं. इसमें जमी दही मीठी और सौंधी खुशबू वाली होती है. इसके बर्तन में जमी दही और उससे बनने वाली लस्सी के देश-विदेश के पर्यटक दीवाने हैं. हाबूर गांव के भूगर्भ से निकलने वाला यह पत्थर कई खनिज व अन्य जीवाश्मों से भरपूर है जो इसे चमत्कारी बनाते हैं.


कहा जाता है कि यहां पहले अथाह समुद्र हुआ करता था, जिसके सूखने के बाद यहां को.घासफूंस और कई समुद्री जीव यहां जीवाश्म बन गए और पहाड़ों मे तब्दील हो गए. समुंद्र की रेत रेगिस्तान में तब्दील हो गई. इस पत्थर से मूर्ति, खिलौने और बर्तन बनाए जाते हैं. देखने में यह हल्का सुनहरा और चमकीला होता है. ग्रामीण बताते हैं कि यह पत्थर ताजमहल सहित कई जगहों पर लगा हुआ है.


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