शाही महिलाओं के रहने वाली जगह को क्यों कहते थे हरम? जहां तैनात रहते थे किन्नर
Harem History: हरम में रहा करती थी शाही महिलाएं और दासियां. वहां पुरुषों की एंट्री थी बैन. सुरक्षा के लिए किन्नरों हुआ करते थे तैनात. लेकिन इस जगह को क्यों कहा जाता था हरम? पता है आपको.
Harem History: जब-जब मुगल काल के इतिहास की बात की जाती है. तब-तक लोगों की जुबान पर हरम का नाम भी आता है. मुगल काल में हरम में शाही महिलाएं रहा करती थी. वहां उनके पूरे एश ओ आराम की व्यवस्था होती थी. कई मुगल बादशाहों के शासन में हजारों की संख्या में हरम में शाही महिलाएं रहा करती थीं. वहीं बात की जाए तो बादशाह अकबर के शासन में लगभग 5 हजार के करीब शाही महिलाएं रहती थीं.
हरम की देखरेख की जिम्मेदारी किन्नरों के पास हुआ करती थी. वहां पुरुषों का जाना बिल्कुल बैन था. इस बात का जिक्र अकबरनामा के लेखक अबुल फजल ने भी किया है. बहुत से लोगों को लगता है की हरम की शुरुआत मुगल काल में हुई थी. लेकिन ऐसा नहीं है ऑटोमन साम्राज्य के दौरान हरम की शुरुआत हुई थी. लेकिन आपको पता है इस जगह को हरम क्यों कहा जाता था. चलिए आपको बताते हैं.
शाही महिलाओं के रहने की जगह को हरम क्यों कहा जाता था?
हरम में शाही महिलाएं और दासियां रहती थी. हरम में सिर्फ बादशाह को आने की इजाजत थी. इसके अलावा और कोई पुरुष धर्म में नहीं आ सकता था. और यही कारण था कि हरम में सुरक्षा की जिम्मेदारी और देखभाल की जिम्मेदारी पुरुषों की नहीं बल्कि किन्नरों को सौंपी गई थी.
इस जगह को हरम क्यों कहा जाता था. इस बात का पता करें तो कहानी यह है कि हरम शब्द अरबी के हराम शब्द से बना है. जिसका मतलब होता है वर्जित. क्योंकि वहां पुरुषों का जाना वर्जित था. और यही कराण थी कि शाही महिलाओं के रहने की जगह को हरम कहा जाता था.
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ओटोमन साम्राज्य से हुई थी शुरुआत
हरम की शुरुआत की बात की जाए तो सन् 1299 में इसका जिक्र सबसे पहले मिलता है. जब उस्मान गाजी ने ओटोमन साम्राज्य की शुरुआत की थी. इसे उस्मानी साम्राज्य भी कहा जाता था. मुगलों के हरम की तरह ही ओटोमन साम्राज्य में भी हरम के लिए कुछ नियम बनाए गए थे. हरम में दासियों के साथ शाही परिवार की महिलाएं रहा करती थीं. यहां सुरक्षा के लिए किन्नरों को तैनात किया जाता था.
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बादशाह जब चाहे हरम में जा सकता था. उसके अलावा और किसी पुरुष को हरम में जाने की परमिशन नहीं होती थी. वहीं बात की जाए तो मुगलों में हरम की व्यवस्था बाबर ने शुरू की थी. इसके बाद अलग-अलग मुगल बादशाहों के दौर में हरम में रहने वाली महिलाओं की संख्या घटती रही बढ़ती रही.
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