सूरज की रोशनी बारिश के दिनों में यदि कुछ दिनों तक भी नहीं मिलती तो लोग परेशान हो जाते हैं. तरह-तरह की बीमारियां होने लगती हैं. सूरज की रोशनी पर्यावरण, पृथ्वी और जीवन के लिए तो बहुत जरुरी है ही, लेकिन कभी सोचा है कि यदि सूरज की रोशनी नहीं हो तो क्या होगा? नहीं ना? चलिए जानते हैं.


तेजी से गिरने लगेगा तापमान


सूरज की रोशनी के बिना, पृथ्वी की सतह का तापमान तेजी से गिरने लगेगा. सूरज की ऊर्जा पृथ्वी को गर्म रखती है और इसके बिना, तापमान में बेहद तेज गिरावट होगी. कुछ दिनों के भीतर, तापमान बर्फ़ के बिंदु से नीचे चला जाएगा, जिससे पूरी पृथ्वी पर बर्फ और बर्फीली परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं.


इसके अलावा तापमान में इस अचानक गिरावट से पृथ्वी की सतह और वायुमंडल में असामान्य परिस्थितियां उत्पन्न होंगी. पोलर बर्फ का तेजी से विस्तार होगा और आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों में बर्फ की चादरें फैल जाएंगी.


पृथ्वी पर मौजूद जीवन पर पड़ेगा प्रभाव


सूरज की रोशनी के बिना, पौधों की फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया पूरी तरह से रुक जाएगी. इससे पृथ्वी के सभी पौधे, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए आधार हैं, मर जाएंगे. पौधों के बिना, सभी जड़ी-बूटियां और फसलें नष्ट हो जाएंगी, जिससे खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में गंभीर संकट उत्पन्न होगा.


पौधों की कमी के कारण, शाकाहारी जानवरों को भोजन नहीं मिलेगा और इसके परिणामस्वरूप शिकार करने वाले जानवरों की भी मौत हो जाएगी. इसके साथ ही, मानव जीवन भी प्रभावित होगा, क्योंकि भोजन की कमी, तापमान में गिरावट और जीवित रहने के लिए संघर्ष से गंभीर स्थिति उत्पन्न होगी.


जलवायु और मौसम में होगा ये बदलाव


सूरज की ऊर्जा के बिना पृथ्वी की वायुमंडलीय स्थिति भी बदल जाएगी. बारिश और अन्य मौसमीय घटनाएं रुक जाएंगी क्योंकि जलवाष्प संकुचित होगा और वायुमंडल में ठंडक बढ़ेगी. सौर ऊर्जा के बिना, हमारे ऊर्जा स्रोत पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता भी समाप्त हो जाएगी और वर्तमान ऊर्जा नेटवर्क भी काम नहीं करेगा.


पृथ्वी के अंदर होंगे ऐसे बदलाव


तापमान में अचानक गिरावट से पृथ्वी की सतह पर क्रिस्टलाइजेशन और ठोसकरण की प्रक्रियाएं तेज़ी से बढ़ सकती हैं. इससे भूगर्भीय प्रक्रियाएं भी प्रभावित होंगी और पृथ्वी के भूगर्भीय गतिविधियां जैसे कि भूकंप और ज्वालामुखी भी अप्रत्याशित हो सकते हैं.


वायुमंडलीय दबाव और अन्य वायुमंडलीय मापदंडों में भी परिवर्तन हो सकता है, जिससे पृथ्वी के वायुमंडल की संरचना में बदलाव आ सकते हैं.


लोगों को नहीं मिलेगा खाना


सूरज की रोशनी नहीं होने से भोजन और ऊर्जा की कमी से वैश्विक खाद्य संकट उत्पन्न होगा. सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और आपूर्ति श्रृंखला, व्यापार और सामान्य जीवन की गतिविधियां गंभीर रूप से प्रभावित होंगी. इसके अलावा तापमान में गिरावट के साथ लोगों के रहने की जगह और शहरों में भीषण ठंड का सामना करना पड़ेगा. इसे सहन करने के लिए लोगों को नए तरह के घर बनाने होंगे और सुरक्षा के नए तरीके खोजने पड़ेंगे, जैसे कि भूमिगत आवास और तापीय नियंत्रण प्रणालियां. सूरज की रोशनी पृथ्वी पर न आने के परिणाम बहुत खतरनाक हो सकते हैं.


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