फाइटर जेट की तरह प्लेन में पैसेंजर्स को क्यों नहीं मिलता पैराशूट, कभी सोचा है आपने?
आज के समय फ्लाइट से सफर करना आम बात हो चुकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यात्री विमान में यात्रियों के लिए पैराशूट क्यों नहीं होता है और इसके पीछे का कारण क्या है.
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आज के वक्त अधिकांश लोग फ्लाइट से सफर करना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फ्लाइट से सफर करने के दौरान पैसेंजर को आपात स्थिति के लिए पैराशूट नहीं दिया जाता है. लेकिन फाइटर जेट के पायलट को पैराशूट दिया जाता है. आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों पैसेंजर प्लेन में पायलट को पैराशूट नहीं दिया जाता है. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे.
हवाई जहाज
आज के वक्त अधिकांश लोग प्लेन में सफर करना पसंद करते हैं. क्योंकि फ्लाइट से कई घंटों का सफर चंद घंटों में पूरा हो जाता है. लेकिन फ्लाइट के साथ ये भी सच है कि उसमें आपात स्थिति के लिए पैसेंजर्स को पैराशूट नहीं दिया जाता है. लेकिन वहीं फाइटर जेट में पायटल को आपातकाल की स्थिति के लिए पैराशूट दिया जाता है.
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फाइटर जेट्स
बता दें कि फाइटर जेट्स या मिलिट्री हवाईजहाजों में बैठे लोगों की सुरक्षा का बहुत ध्यान दिया जाता है. वहीं सैन्य प्लेन में मौजूद हर यात्री के लिए पैराशूट भी मौजूद होता है, जिससे खतरे वक्त वो इस्तेमाल करके जमीन पर सुरक्षित पहुंच सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि यात्री विमानों में यात्रियों के लिए पैराशूट क्यों नहीं होता है?
यात्री विमान
बता दें कि कमर्शियल एयरलाइन्स में पैराशूट मौजूद नहीं होने के पीछे खास कारण होता है, जिसके बारे में शायद कम ही लोग जानते होंगे. दरअसल कमर्शियल एयरलाइन्स में यात्रा कर रहे, यात्रियों के पास पैराशूट के साथ कूदने की ट्रेनिंग नहीं होती है. वहीं ना ही उन्हें पैराशूट का अंदाजा होता है कि उसे कितनी देर में और कैसे खोला जाएगा. वहीं अगर किसी तरह उन्होंने पैराशूट खोल भी लिया तो लैंडिंग बेहद मुश्किल होती है. इतनी ऊंचाई से जब कोई पैराशूट से नीचे उतरता है, तो वो किस दिशा में उड़ रहा है, ये भी ध्यान देना पड़ता है. वहीं उतरते वक्त पैरों की पोजीशन किस तरह से होगा, जिससे उन्हें टूटने से बचाया जाएगा, ये भी आना जरूरी है.
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बेहद महंगे होते हैं पैराशूट
बता दें कि पैराशूट की पूरी किट काफी महंगी और भारी होती है. वहीं अगर हर यात्री के प्लेन में पैराशूट रखा जाएगा, तो उसका वजन 3 हजार किलो तक बढ़ जाएगा. इसके अलावा पैराशूट से लेकर उसके लिए इस्तेमाल में आने वाले गेयर जैसे कि हेल्मेट आदि का भी दाम काफी महंगा होता है. अगर इन्हें कंपनियां प्लेन में रखती हैं तो उसका दाम भी यात्रियों से ही वसूला जाएगा, जो काफी मुश्किल होता है.
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