भारत में हर चौराहा और मार्केट में मिलने वाला मोमोज मरीजों के लिए जहर से कम नहीं है. खासकर ब्लड शुगर के मरीजों के लिए तो मोमोज खतरनाक है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक मोमोज डायबिटीज को तेजी से ट्रिगर करता है और मरीज को गंभीर स्थिति में लेकर जा सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बाजार में बिकने वाले ज्यादातर मोमोज मैदा से बने होते हैं. वहीं इसके अंदर जिस तरह की सब्जियां, पनीर और नॉनवेज आइटम का इस्तेमाल किया जाता है, उसकी क्वालिटी बहुत खराब होती है. 


केमिकल का उपयोग


जानकार बताते है कि मोमोज को सफेद और सॉफ्ट बनाने के लिए इसमें कम से कम 3 तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं, जो सेहत के लिए बहुत हानिकारक हैं. एक न्यूज चैनल से बातचीत में एम्स रांची के न्यूरो सर्जन डॉ. विकास कुमार कहते हैं कि मोमोज को सफेद और सॉफ्ट बनाने के लिए इसमें ब्लीच, क्लोरीन और बेंजोइल पेरोक्साइड मिलाया जाता है. ये तीनों चीजें शुगर के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक हैं. ये केमिकल हमारे शरीर में इंसुलिन बनाने वाली सेल्स के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते और शुगर लेवल को ट्रिगर कर देते हैं. वहीं मोमोज में शुगंध और टेस्ट बढ़ाने के लिए मोनोसोडियम ग्लूटामैट जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल भी किया जाता है, जो हमारी पेनक्रियाज और किडनी को डैमेज कर सकता है. बता दें कि ये ऐसा केमिकल है जो किसी अच्छे-खासे शख़्स को डायबिटीज जैसे गंभीर बीमारी दे सकता है.


जर्नल ऑफ द अमेरिकन डायटेटिक एसोसिएशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर टाइप-2 डायबिटीज के मरीज सप्ताह 3-4 मोमोज खाएं तो इससे कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन हर दिन और लिमिट से अधिक मोमोज ब्लड शुगर को तेजी से ट्रिगर करता है. वहीं डायबिटीज मरीज यदि मोमोज खाते भी हैं तो उन्हें स्टीम मोमोज ही चुनना चाहिए. साथ वह आटा, रागी, बाजरा जैसी चीजों का हो तो बेहतर है. 


एक्सपर्टस के मुताबिक मोमोज जिस लाल चटनी के साथ खाया जाता है, वह सेहत के लिए बहुत हानिकारक है. इसमें लाल मिर्च के साथ-साथ कलर वाला रंग का उपयोग होता है. इस चटनी से पाइल्स और पेट से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. वहीं मोमोज की सफेद चटनी में अच्छी-खासी मात्रा में तेल होता है, जो बहुत हृदय रोगियों के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है. खासकर शुगर के मरीजों को बाहरी मोमोज से परहेज करना चाहिए. उन्हें कोशिश करना चाहिए घर पर ताजे सब्जियों से बने हुए मोमोज खाएं.  
 


ये भी पढ़ें :शरीर के इस अंग में नहीं होता बिल्कुल भी खून, हवा से मिलता है ऑक्सीजन